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गधे और कुत्ते की कहानी – तकरीबन आज से ढाई साल पहले मेरे मित्र चन्दन बैस ने एक कहानी लिखी थी बंडलबाज गधा जोकि अधूरी थी। उस कहानी को पूरा करने और उसका दूसरा भाग – गधे की बुद्धिमानी लिखने में मुझे पूरे दस महीने लगे थे। फिर इस श्रृंखला पर हमने तीसरी कहानी लिखने का विचार किया। दो बार कहानी लिखी भी गयी। मगर किन्हीं कारणों से वो कहानियां इस श्रृंखला का तीसरा भाग न बन सकी। और अब तकरीबन दो साल बाद हम वापस लेकर आये हैं बंडलबाज गधा श्रृंखला की कहानी का तीसरा भाग चोर कौन? तो आइये पढ़ते हैं कहानी और जानते हैं कि चोर कौन? लेकिन इस कहानी के उद्देश्य को समझने के लिए बंडलबाज गधा का पहला भाग और दूसरा भाग अवश्य पढ़ें :-
गधे और कुत्ते की कहानी
बंडलबाज गधे के राजा और सुंदरी हिरनी को उसकी पत्नी बनने के बाद जंगल में सब कुछ सही जा रहा था। शेर सिंह और कल्लू लोमड़ी इस बात को सहन नहीं कर पा रहे थे और हर समय बंडलबाज गधे को नीचा दिखाने को प्रयास में लगे रहते थे।
इसी बीच एक दिन बंडलबाज गधे का दोस्त कुत्ता दादा शहर से जंगल में बंडलबाज गधे को मिलने आया। कुत्ता दादा बंडलबाज गधे को तब मिला था जब जंगल से पांच जानवर इंसानों के बारे में समझने शहर गए थे। अभी वह जंगल में घुसा ही था कि उसकी मुलाकात शेर सिंह और कल्लू लोमड़ी से हो गयी।
‘ए भाई लोग अपन का एक दोस्त गधा इधर रहता है। वो किसी हिरनी-विरनी के प्यार में पड़ गया था। अभी कहाँ मिलेगा वो?”
“तुम्हें पता भी है तुम किस से बात कर रहे हो?” कल्लू लोमड़ी ने शेर सिंह की तरफ से जवाब देते हुए चापलूसी भरे लहजे में कहा,” ये शेर सिंह हैं, शेर सिंह।”
“तो क्या? शेर है तो क्या?” कुत्ता दादा बिना किसी डर के उन दोनों के सामने चौड़ा होते हुए बोला,”अपन के एरिया में मैं भी शेर मालूम तेरे को? कुत्ता दादा नाम है मेरा कुत्ता दादा।”
– ये यहाँ के राजा रह चुके हैं।
– ये राजा और तू इसका बाजा। तेरे राजा गूंगा है क्या?
शेर सिंह को ये सुन कर बहुत गुस्सा आया मगर जंगल के नियमों के अनुसार वो किसी मेहमान के साथ बिना कारण दुर्व्यवहार नहीं कर सकते थे।
- पढ़िए :- दो गधों की शिक्षाप्रद बाल कहानी
“तुम बेवक़ूफ़ सच में जंगली है, कोई बोलने का तमीज ही नहीं है तुम लोगों को।”
इस से पहले की शेर सिंह या कल्लू लोमड़ी कोई जवाब देते इतना बोलते हुए कुत्ता दादा आगे बढ़ गया।
“क्या अब कुत्ते भी हमसे इस तरह बात करेंगे?” शेर सिंह अपना गुस्सा पीते हुए कल्लू लोमड़ी से बोले।
– महाराज जब प्रजातंत्र में सब गधे को ही राजा बना दें तो उसकी दुलत्ती तो खानी ही पड़ेगी।
– बिलकुल सही बात कही कल्लू तुमने लेकिन अब इस गधे को सबक सिखाना ही पड़ेगा।
– जी महाराज इसकी जरूरत भी है।
– तुम कोई प्लान क्यों नहीं बनाते? तुम्हारी जाति को तो चालाकी में माहिर माना गया है।
इसके बाद उनकी बातें चलती रहीं और उधर कुत्ता दादा बंडलबाज गधे की गुफा तक पहुंचा गया। वहां पहुँचते ही वह बहार खड़ा होकर आवाज लगाने लगा,
” ए गधा भाई, बहार आने का, देख मैं तुझसे मिलने को आया।”
आवाज सुन कर गधा बहार आया और उसके पीछे उसकी नव ब्याही धर्मपत्नी सुंदरी हिरनी भी आई।
– अरे कुत्ता दादा! तुम यहाँ कैसे?
– काएं काएं…..इसे यहाँ तक हम लाये।
पास के पेड़ की एक डाल पर बैठा कलूटा कौवा बोला। और वापस जाने की इजाजत मांगता हुआ चला गया।
– क्या गधा भाई, सुना तुम इधर के एरिया का राजा बन गया।
– अरे कुत्ता भाई ऐसा कुछ नहीं है। वो तो सब जंगलवासियों ने मेरा तेज दिमाग देख कर मुझे जंगल का राजा बना दिया।
– वो तो ठीक है पर ये बता यही वो आइटम है क्या जिसकी खातिर तू शहर आया था?
– धीर बोलो कुत्ता दादा भाभी है वो तुम्हारी।
फिर बण्डलबाज गधे ने कुत्ता दादा को अन्दर आने के लिए कहा। गुफा के अन्दर जाते समय कुत्ता दादा की नजर सुन्दर हिरनी के गले में पहने हुए सुन्दर हार पर पड़ी। पूछने पर गधे ने बताया कि यह जंगल का शाही हार है जो सिर्फ रानियाँ ही पहन सकती हैं। ये परम्परा सदियों से इस जंगल में चली आ रही है।
इसी तरह फिर दोनों दोस्त आधी रात तक बातें करते रहे। न जाने कब उनकी आँख लगी और सुबह हो गयी। सुब अह होते ही गुफा से आवाजें आने लगी।
” कहाँ गया हार? रात को तो यहीं रखा था।”
ये आवाज सुंदरी हिरानी की थी। जब बंडलबाज गधा और कुत्ता दादा उस तरफ गए। तो पता चला कि जंगल का शाही हार चोरी हो गया है। ये सुनते ही गधे के होश उड़ गए। अब उसे जंगल का राजा बनने पर भी अफ़सोस हो रहा था। गधे को इसी बात की चिंता सता रही थी कि अगर ये बात जंगल में पता चली तो पूरे जंगल में उसकी बदनामी हो जायेगी। जब यह बात कुत्ता दादा को पता चली तो उसने गधे को धैर्य रखने के लिए कहा।
बात वही हुयी बात जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी। कल्लू लोमड़ी और शेर सिंह को एक मौका मिल गया था बण्डलबाज गधे को उसकी औकात दिखाने का। सब जानवरों ने मिल कर एक सभा बुलाई जिसमें बंडलबाज गधा और सुंदरी हिरनी के साथ-साथ कुत्ता दादा को भी बुलाया गया।
सभा की अगुवाई कर रहा था बूढ़ा बाज। बूढ़े बाज ने गधे से सारी स्थिति बताने को कहा। जिस पर गधे ने सब बता दिया कि वो उसके दोस्त कुत्ता दादा के साथ था और उसी रात सुंदरी रानी का हार चोरी हो गया। बस फिर क्या था। शेर सिंह ने लगा दिया एक तीर से दो निशाने।
“फिर तो ये चोरी कुत्ता दादा ने की होगी। क्योंकि उस रात तो कुत्ता दादा ही एक अजनबी था उस गुफा में। वर्ना ये गधा और हमारी महारानी सुंदरी जी ऐसा काम कर ही नहीं सकते।”
“अरे नहीं कुत्ता दादा ऐसा नहीं कर सकता। उसने तो मेरी मदद की थी शहर में वो बहुत अच्छा जानवर है।”
बंडलबाज गधे ने सबको समझाने का प्रयास किया लेकिन शायद जंगल में कोई उसकी बात सुनने के मूड में नहीं था। अंततः यह फैसला किया गया कि चोरी कुत्ता दादा ने ही की है। कुत्ता दादा भी अपनी बेगुनाही साबित न कर सका। उसे सबके सामने जलील होना पड़ा। इस से सबसे ज्यादा खुश शेर सिंह और कल्लू लोमड़ी ही थे। सब लोग इस फैसले के बाद अपने-अपने घर चले गए।
शाम को बंडलबाज गधा कुत्ता दादा की हुयी बेइज्जती से बहुत दुखी था। उसे पता था कि चोरी उसने नहीं की थी। बंडलबाज गधा किसी भी तरह कुत्ता दादा को उसका सम्मान वापस दिलाना चाहता था। सारी रात सोचते-सोचते बीत रही थी। सुबह होने ही वाली थी कि बंडलबाज गधे को एक विचार आया। वो सीधा ही उल्लू सुनार के पास गया।
उल्लू सुनार जंगल में सबके लिए गहने बनाता था। रात को जागने के कारण वो अक्सर ही सारा काम रात को करता था जब सब सो रहे होते थे।इस तरह कोई उसे तंग भी नहीं करता था ऑयर वो अपना काम भी शांति से कर लेता था।
बंडलबाज गधा उल्लू सुनार के पास पहुंचा और उसे किसी तरह हुबहू वैसा ही हार बनाने के लिए कहा जैसा हार चोरी हो गया था। उल्लू सुनार बड़ी मुश्किल से माना। उसे मानना ही पड़ा क्योंकि बंडलबाज गधा उस समय राजा था और उल्लू को पता था कि हार के चोरी होने में गधे का कोई हाथ नहीं है।
अगली रात को जब सब सो रहे थे तो बंडलबाज गधा उल्लू सुनार के पास से वो हार ले आया। इस बात के बारे में किसी को कुछ भी न पता चला। बंडलबाज गधे ने हार लाकर चुपचाप सुंदरी हिरनी के कमरे में दरवाजे के पीछे ऐसे रख दिया मानों गलती से गिर गया हो। इसके बाद जाकर वह शांति से सो गया।
“हार मिल गया….हार मिल गया…” ये आवाज सुंदरी हिरनी की थी। इस आवाज को सुन बंडलबाज गधा हैरान तो न था क्योंकि ये सब उसी का किया धरा था। लेकिन फिर भी एक्टिंग करते हुए कहने लगा,
“ढेंचू…ढेंचू…..अरे हिरनी जी हार मिल गया। मैं तो पहले ही कहता था कि मेरा दोस्त कुत्ता दादा चोरी नहीं कर सकता।”
“हाँ जी…बात तो आप सही कह रहे हैं। हम सब से बहुत बड़ी गलती हो गयी कुत्ता दादा पर शक कर के।”
हिरनी ने चिंता जताते हुए कहा।
“मैं आज ही सब जंगल वासियों को इकठ्ठा करता हु और उन्हें हार मिलने की खबर सुनाता हूँ। इसके साथ ही कुत्ता दादा को भी सम्मानपूर्वक जंगल में वापस लेकर आता हूँ।”
इसके बाद सभी जंगलवासियों को इकठ्ठा किया गया। बंडलबाज गधा ने जंगल के ही भोलू कुत्ते को कुत्ता दादा को बुलाने के लिए भेज दिया।
शाम होते-होते सभी जंगलवासी बंडलबाज गधे की गुफा के सामने पहुँच चुके थे। सभी ये जानने के लिए उत्सुक थे कि हार कहाँ और कैसे मिला?
“सभी जंगल वासियों को मेरी हाय और हेल्लो। जैसा कि आप सब को पता है कि कुछ दिन पहले सुंदरी हिरानी का शाही हर गुम हो गया था। वो शाही हार कल रात उन्हीं के कमरे से मिल गया है……..”
“लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है?
बीच में टोकते हुए शेर सिंह के ये कहने पर सब जंगलवासी उसकी तरफ देखने लगे। किसी को ये समझ नहीं आया की शेर सिंह ने ऐसा क्यों कहा?
“ये क्या कह रहे हैं आप शेर सिंह जी? ऐसा क्यों नहीं हो सकता?”
“क्योंकि असली हार यहाँ है।”
एक बार फिर से बंडलबाज गधे को रोकने वाली ये आवाज कल्लू लोमड़ी की थी जो हार लिए वहाँ खड़ा था। उसके हाथों में हार देखते ही बंडलबाज गधे के पसीने छूटने लगे। तभी लम्बू जिर्राफ बोला,
“इसका मतलब गधे के पास नकली हार है। ये तो धोखा है।”
“धोखा है धोखा है….” सभी जंगलवासी बंडलबाज गधे के सामने ऊंची-ऊंची आवाज में नारे लगाने लगे। सभी लोग अलग-अलग तरह की बातें कर रहे थे। कोई कह रहा था कि गधे का गधा ही रहा। वो तो अच्छा है की कल्लू लोमड़ी असली हार ले आया वर्ना इसने तो सबको बेवक़ूफ़ बना दिया होता।
तभी जानवरों के बीच से किसी जानवर ने कहा कि हमारे साथ इतना बड़ा खेल क्यों खेला? हमें जवाब चाहिए…हमें जवाब चाहिए।
बंडलबाज गधे कि हालत पतली होती जा रही थी। उसे समझ नही आ रहा था कि अब क्या करे? उसे तो बस अब अपनी मौत ही दिखाई दे रही थी। राजा का पद तो गया ही गया सुंदरी हिरनी भी हाथ से जायेगी। जंगल में बदनामी हो रही है सो अलग।
गधे कि ये हालत देख कर शेर सिंह और कल्लू लोमड़ी ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे थे। जंगलवासी गधे के खिलाफ नारे लगा रहे थे। तभी बंडलबाज गधे को सभी जानवरों के पीछे भोलू कुत्ते के साथ कुत्ता दादा आता दिखा। तभी उसके मन में एक ऐसी बिजली कौंधी जिसने सारा दृश्य ही बदल दिया।
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“ढेंचू….ढेंचू……हाहाहाहाहाहा……..”
गधा जोर-जोर से हंसने लगा। उसे देख कर एक पल के लिए पूरे जंगल में सन्नाटा छा गया। किसी को कुछ भी समझ न आया। शेर सिंह और कल्लू लोमड़ी को को लगा की गधा पगला गया है।
“मेरा प्लान कामयाब हो गया….हाहाहाहाहाहा….”
गधे की ये बात सुन सब चौंक गए।
“ये किस प्लान की बात कर रहा है?”
असमंजस में पड़ते हुए शेर सिंह ने कल्लू लोमड़ी से पूछा।
“मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा महाराज। ये हो क्या रहा है?”
तभी बंडलबाज गधा बोला,
“मुझे पता था कि हार गायब नहीं हुआ है बल्कि चुराया गया है।”
“चुराया गया है?” बीच में से हाथी बोला, “तो आपने पहले क्यों नहीं बताया?”
“वो इसलिए कि मैं जानता था कि जिसने भी हार चुराया है वो खुद तो सामने आयेगा नहीं। इसलिए मैंने ये नकली हार वाला प्लान बनाया। और इसका नतीजा आप सबके सामने है। कल्लू लोमड़ी।”
इतना सुनते ही कल्लू के पैरों तले जमीन खिसक गयी। उसे ऐसा लगा मानो सारा आसमान उसके सर पर टूट पड़ा हो। “महाराज आप ये क्या कह रहे हैं? मैंने ये हार नहीं चुराया…..”
“ना तू हार क्यों चुराएगा, मैंने ही तो तुझको दिया होगा न। क्योंकि हार तो मैंने चुराया था।”
कुत्ता दादा वहां पहुँच चुका था। सभी जानवरों की नजरें कुत्ता दादा पर टिक गयी थीं।
“इसी ने हार चुराया और मुझे और महाराज गधे को बदनाम करने की साजिश रची। लेकिन सच आखिर कब तक छुपता है। पकड़ लो सब भाई लोग और धो डालो इसको। इसने जंगल के सम्मान के साथ खिलवाड़ किया है।”
कुत्ता दादा की ये बात सुन कर कल्लू को ऐसे लगा जैसे साक्षात् यमराज सामने खड़े होकर उससे कह रहे हों कि चलो अब तुम्हारा वक्त ख़तम हुआ।
“मैंने कुछ नहीं किया। ये हार तो मुझे जंगल में मिला था। आप चाहें तो शेर जी से पूछ लीजिये।”
इस समय शेर सिंह ने लोमड़ी का साथ देना सही न समझा। क्योंकि ऐसा हो सकता था कि जंगलवासी कल्लू लोमड़ी के साथ शेर सिंह की भी हालत ख़राब कर देते।
“मुझसे क्या पूछो कल्लू? तुम्हें पता होगा तुमने क्या किया? तुम्हें हार कहाँ से मिला? मेरा नाम मत लो इस सब में हाँ।”
“बस कल्लू, देख लिया तुमने बुरे काम का क्या अंजाम होता है। तो जंगलवासियों इस लोमड़ी को क्या सजा देनी चाहिए?”
बीच में से ही कोई जानवर बोला, “इसे हमारे हवाले कर दो महाराज। हम इसे खुद ही यमराज के पास पहुंचा देंगे।”
तभी कुत्ता दादा बोला,”नहीं इसको मरने की जरूरत नहीं है। इसको जंगल से बहार निकाल दो इस नमक हराम को।”
कल्लू लोमड़ी अब भी शेर सिंह की तरफ ऐसे देख रहा था मानो कह रहा हो महाराज बस एक बार बचा लो। लेकिन शेर सिंह कल्लू लोमड़ी से नजरे चुराए जा रहे थे। तो अंत में बंडलबाज गधे ने फैसला सुनाया,
“जंगल के नियम तोड़ने और शाही हार की चोरी के आरोप में कल्लू लोमड़ी को जंगल से बाहर निकला जाता है। इसके साथ ही कुत्ता दादा को ससम्मान जंगल में रखा जायेगा। उनके साथ हुए बुरे व्यव्हार के लिए हम क्षमाप्रार्थी हैं। अब आप सब लोग अपने अपने घर जा सकते हैं। धन्यवाद।”
इसके बाद सब जानवर अपने-अपने घर की ओर चले गए। शेर सिंह और कल्लू लोमड़ी वहीं खड़े थे।
“क्यों, तुम्हें कहा था न कि बोलने की अकाल सीख लो। तुम्हें तो ये भी नहीं पता कि कौन सी बात कब कहनी है। हार तो चुराया लेकिन इस का फ़ायदा कैसे उठाना है इस पर दिमाग नहीं लगाया। और अपने गधा भाई को देख कैसे एक ही मिनट में तुम्हारी सारी चालाकी फुरररर कर दी। जंगल का इतिहास उठा कर देखो लोमड़ी कितनी भी चालाक रही हो उसने हमेशा मुँह की खायी है। तो अब निकलो यहाँ से जल्दी।”
इतना कह कर बंडलबाज गधा, सुंदरी हिरनी और कुत्ता दादा वापस गुफा में चले गए।
कल्लू लोमड़ी ने शेर सिंह से कहा,
“महाराज आपने कुछ कहा क्यों नहीं? मैंने ये सब आपके लिए ही तो किया था।”
शेर सिंह एक लम्बी सांस लेते हुए कहा,
“कल्लू तूने ही तो कहा था कि जब प्रजातंत्र में सब गधे को ही राजा बना दें तो उसकी दुलत्ती तो खानी ही पड़ेगी।”
इतना कहते ही शेर सिंह आगे बढ़ गया और कल्लू लोमड़ी वहीं खड़ा उसे देखता रहा।
तो ये था बंडलबाज गधा श्रृंखला कहानी का तीसरा भाग ” गधे और कुत्ते की कहानी :- चोर कौन?” ये कहानी आपको कैसी लगी हमें जरूर बताएं। यदि आप चाहते हैं पढ़ना इस कहानी का चौथा भाग तो कमेंट बॉक्स में हमें जरूर बताइए। आपकी प्रतिक्रिया ही हमें लिखने के लिए प्रेरित करती है।
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