Home » Apratim Post » वियोग पर कविता – चला गया वह | Viyog Par Kavita

वियोग पर कविता – चला गया वह | Viyog Par Kavita

वियोग पर कविता में मृत्यु के कारण जीवन साथी के बिछुड़ने और उससे उत्पन्न पीड़ा का चित्रण किया गया है। युवावस्था में ही पति के चले जाने के बाद जो पीड़ा, सुखमय जीवन के सपने सँजोये युवा पत्नी को भोगनी पड़ती हैं ; वह हृदय – विदारक होती है। वैधव्य के दुःख से संतापित नारी को जीवन भर एकाकीपन की मानसिक यंत्रणा में घुट – घुटकर जीना पड़ता है। उसके जीवन का भव्य महल अचानक खंडहर में बदल जाता है और समय के आघातों को सहता हुआ वह एक दिन धराशायी हो जाता है। नारी की चिर वियोग जन्य पीड़ा को ही इस कविता में संवेदनात्मक अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया गया है। तो आइए पढ़ते हैं ” वियोग पर कविता “

वियोग पर कविता

वियोग पर कविता

चला गया वह छोड़ अकेला
मुझको जीवन – पथ पर,
बढ़ते ‘इति’ की ओर स्वप्न भी
ठहरे ‘अथ’ पर आकर।

जिसके साथ बँधा था मेरा
जन्म – जन्म का नाता,
आज कहाँ जा छुपा अरे ! वह
झलक नहीं दिखलाता।

समा गया वह काल – गाल में
बिना जिए ही पूरा,
क्रूर मौत की बुरी दृष्टि ने
ऐसा उसको घूरा ।

आँसू पीकर ही अब अपने
शेष दिवस बीतेंगे,
आशाओं पर लगे दाँव को
कभी नहीं जीतेंगे।

सावन जाएँगे सूखे ही
ना बसन्त महकेंगे,
जीवन – तरु पर खुशियों के अब
पंछी ना चहकेंगे।

मन के अन्दर बने रहेंगे
बारह मासों पतझर,
सूख देह के भी जाएँगे
बहते यौवन – निर्झर।

शेष कटेंगे दिन जीवन के
यूँ ही रोते – रोते,
यादों से उमड़े आँसू में
अपने नयन भिगोते।

डसा करेंगी अब नागिन – सी
लम्बी काली रातें,
नए सवेरे सूनेपन की
देंगे नित सौगातें।

जहाँ गए वे नहीं वहाँ से
वापस कोई आया,
लेकिन मेरा पागल मन यह
बात समझ ना पाया।

इन रिसते घावों को कोई
समय न भर पाएगा,
बना खण्डहर जीवन मेरा
इक दिन ढह जाएगा।


पढ़िए विरह से संबंधित यह कविताएं :-

” वियोग पर कविता – चला गया वह ” आपको कैसी लगी? अपने विचार कमेन्ट बॉक्स में जरूर लिखें।

हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करें :-

apratimkavya logo

धन्यवाद।

mchamp lite online games

आपके लिए खास:

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More