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संस्कार पर कविता :- संस्कारों के बीज | Hindi Poem On Good Manners

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‘ संस्कार पर कविता ‘ में बच्चों को बुराई से बचकर अच्छी बातें सीखने की सीख दी गई है ।अच्छी बातें अपनाकर बच्चे संस्कारवान बन सकते हैं । ऐसे संस्कारित बच्चों को सभी लोग प्यार करते हैं । कविता में उदाहरणों के द्वारा बताया गया है कि प्रकृति की वस्तुएँ अपना मूल स्वभाव नहीं बदलती हैं लेकिन मानव विवेकशील प्राणी होने के कारण अपनी आदतों में परिवर्तन कर सकता है । सुन्दर जीवन जीने के लिए मनुष्य को बुराई की राह छोड़ कर सच्चाई और अच्छाई के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए ।

संस्कार पर कविता

संस्कार पर कविता

कटुक करेला खट्टी इमली
मीठा होता आम,
सोचो बच्चों जरा ध्यान से
किसका यह परिणाम ।

एक बाग में उगते देखे
हमने काँटे फूल,
सोचो सोचो प्यारे बच्चों
किसकी है यह भूल ।

कव्वे कोयल की होती क्यों
अलग अलग आवाज,
भोले बच्चों पता लगाओ
क्या है इसका राज ।

नहीं समझ में आया तो लो
सुनिए मेरी बात,
मिली हुई है संस्कारों में
इनको ये सौगात ।

जिसमें जैसे पड़ जाते हैं
संस्कारों के बीज,
वैसे ही गुण धर्म निभाती
दुनिया की हर चीज ।

लेकिन हम मानव तो अपनी
बुरी आदतें छोड़,
अच्छाई की ओर कभी भी
जीवन सकते मोड़ ।

बच्चो ! अच्छी बातें अपना
रखो बुराई दूर,
संस्कारित बच्चों को करते
प्यार सभी भरपूर।

सुरेश चन्द्र ” सर्वहारा ” जी की ” संस्कार पर कविता ” आपको कैसी लगी? इसी तरह की रचनाएं पाने और रचनाकार का उत्साह बढ़ाने के लिए अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

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धन्यवाद।

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