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आप पढ़ रहे हैं नवरात्रि के पावन अवसर पर देवी माँ को समर्पित एक भक्तिमय भजन ” नवरात्रि पर देवी भजन – नवरात में आकर के माँ दरश दिखा जाना ”
नवरात्रि पर देवी भजन
नवरात में आकर के माँ दरश दिखा जाना ।
नवरात चले जाये माँ तुम न कभी जाना
पलकों से तेरी मैंया मैं ड़गर बुहारुँगी ।
गंगाजल से अंबे मै चरण पखारूँगी ।
माँ नव नव रुपों में तुम झलक दिखा जाना ।।
नवरात में आकर के माँ दरश दिखा जाना ।।
मैंने द्वार सजाई है माँ फूलों को बिछाकर के ।
बैठी हूँ माँ राहों में कई दीप जलाकर के ।
हे मैंहर वाली माँ पायल खनका जाना ।
नवरात में आकर के माँ दरश दिखा जाना ।।
लाल चुनरिया माँ हाथों से ओढ़ाऊँगी ।
बिंदिया चूड़ी कंगना माँ को पहनाऊँगी ।
माता सिंदूर मेरा दमके वर दे जाना।।
नवरात में आकर के माँ दरश दिखा जाना ।।
सुनते हैं सदा माते करुणा बरसाती हो ।
ये तो भिखारी है माँ तूही इक दाती हो ।
ना रोये कोई बेटी माँ ऐसा वर दे जाना।।
नवरात में आकर के माँ दरश दिखा जाना।।
चरणों में लिपट कर माँ मैं दिल की सुना लेती ।
सुन कर मेरी माँ अंबे करुणा बरसा देती ।
कुछ माँगे नहीं मीरा चरणों में जगह देना ।।
नवरात में आकर के माँ दरश दिखा जाना।।
नवरात चले जाये माँ तुम न कभी जाना ।।
नवरात में आकर के माँ दरश दिखा जाना ।।
पढ़िए :- माँ दुर्गा पर भजन “तू दर्शन दे-दे मुझको”
यह कविता हमें भेजी है श्रीमती केवरा यदु ” मीरा ” जी ने। जो राजिम (छतीसगढ़) जिला गरियाबंद की रहने वाली हैं। उनकी कुछ प्रकाशित पुस्तकें इस तरह हैं :-
1- 1997 राजीवलोचन भजनांजली
2- 2015 में सुन ले जिया के मोर बात ।
3-2016 देवी गीत भाग 1
4- 2016 देवीगीत भाग 2
5 – 2016 शक्ति चालीसा
6-2016 होली गीत
7-2017 साझा संकलन आपकी ही परछाई।2017
8- 2018 साझा संकलन ( नई उड़ान )
इसके अतिरिक्त इनकी अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें इनकी रचनाओं के लिए लगभग 50 बार सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें वूमन आवाज का सम्मान भी भोपाल से मिल चुका है।
लेखन विधा – गीत, गजल, भजन, सायली- दोहा, छंद, हाइकु पिरामिड-विधा।
उल्लेखनीय- समाज सेवा बेटियों को प्रशिक्षित करना बचाव हेतु । महिलाओं को न्याय दिलाने हेतु मदद गरीबों की सेवा।
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