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” महिला सशक्तिकरण पर दोहे ” में बताया गया है कि महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त करने के लिए दूसरों के समर्थन की आशा छोड़कर स्वयं में आत्मविश्वास उत्पन्न करना चाहिए । अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए महिलाओं को सभी प्रकार के शोषण , उत्पीड़न और पुरुष वर्चस्ववादी सोच का विरोध करना चाहिए । महिलाओं के सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक अधिकारों का सभी लोगों को सम्मान करना चाहिए । शासन और समाज दोनों को महिलाओं को समान अवसरों की उपलब्धता में सकारात्मक भूमिका निभाना चाहिए ।
महिला सशक्तिकरण पर दोहे
नारी का व्यक्तित्व हो, नारी के अधिकार ।
नारी के भी स्वप्न का, हो अपना संसार ।।
क्यों करती हक के लिए, हाथ जोड़ फरियाद ।
नारी तू भी है मनुज, पूर्णतया आजाद ।।
समय न कर बर्बाद अब, और न बगलें झाँक ।
बढ़ नारी नव – राह पर, अपनी ताकत आँक ।।
नारी अब तो फूँककर, आजादी का शंख ।
छू भी ले आकाश को, फैलाकर निज पंख ।।
नारी मत तू और से, खुद को कमतर आँक ।
तेरे कदमों से रहा, कल का सूरज झाँक ।।
अब अबला की सोच से, होकर पूर्ण विरक्त ।
अपने निर्णय आप ले, नारी तभी सशक्त ।।
केवल शासन का नहीं, अपना भी कर्त्तव्य ।
नारी का जीवन करें, उचित मान दे भव्य ।।
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