गीत गजल और दोहे

क्या रब की रज़ा है और तू ज़िंदा दिखा है ग़ज़ल | ग़ज़ल की दुनिया भाग 2


आप पढ़ रहे हैं ग़ज़ल की दुनिया में दो नई ग़ज़लें “ क्या रब की रज़ा है और तू ज़िंदा दिखा है ”

क्या रब की रज़ा है

क्या रब की रज़ा है

नहीं तुम पास क्या रब की रज़ा है
बड़ी ही जानलेवा ये शिता है

शिनावर काश होता चूम लेता
फ़लक़ का अश्क़ सागर में गिरा है

खिली है चाँदनी पर रात रोती
गुहर की मखमली शब की रिदा है

तुझे उल्फ़त अदब ये दिल सिखाता
मुझी से क्यों भला बदज़न हुआ है

हुआ पत्थर जिगर शौक़े-जुदाई
निभाना प्यार का हर सिलसिला है

दिया उम्मीद का वो क्यों बुझा फिर
सितम की आँधियों में जो जला है

कबाएँ मोम की ले कर तपिश में
वही छाया तले बैठा रहा है

नहीं आराइशें मिलतीं शजर से
परिंदा छाँव का मारा हुआ है

सिसकती है ग़ज़ल फ़रियाद करती
जुदाई दर्द से मिलती शिफ़ा है

शब्द –कोष
शिता—शीत काल

✍ अंशु विनोद गुप्ता


सहर का ख़्वाब तू ज़िंदा दिखा है

नुजूमी का रमल नाक़िस हुआ है
सहर का ख़्वाब तू ज़िंदा दिखा है ।

हमेशा ही वफ़ा परवान चढ़ती
ग़मे-आँसू मुहब्बत की ग़िज़ा है ।

ज़रूरी तो नहीं लब आप खोलें
हमारी चश्म ही बस आइना है

बजीं क्यों हर तरफ शहनाइयाँ-सी
हवासों पर हुआ कैसा नशा है

उठीं जब आँधियाँ चारों तरफ़ से
बढ़ा फ़िर मंज़िलों का फ़ासला है

कहाँ सौदा ख़रा दिल का मिलेगा
तुम्हारे प्यार का बस आसरा है

लिखे ख़त प्यार से तेरे लिए ही
मेरी नादान हसरत की अदा है

जरा मेरे करीं आ जाओ पलभर
हमारे पाँव में काँटा गढ़ा है

पुराने ख़त का हर सफ़्हा महकता
गुज़ारा साथ कुछ पल अनकहा है

नुजूमी—ज्योतिष
नाक़िस—बेकार,व्यर्थ,

✍ अंशु विनोद गुप्ता


anshu vinod gupta

अंशु विनोद गुप्ता जी एक गृहणी हैं। बचपन से इन्हें लिखने का शौक है। नृत्य, संगीत चित्रकला और लेखन सहित इन्हें अनेक कलाओं में अभिरुचि है। ये हिंदी में परास्नातक हैं। ये एक जानी-मानी वरिष्ठ कवियित्री और शायरा भी हैं। इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें “गीत पल्लवी “,दूसरी पुस्तक “गीतपल्लवी द्वितीय भाग एक” प्रमुख हैं। जिनमें इनकी लगभग 50 रचनाएँ हैं ।

इतना ही नहीं ये निःस्वार्थ भावना से साहित्य की सेवा में लगी हुयी हैं। जिसके तहत ये निःशुल्क साहित्य का ज्ञान सबको बाँट रही हैं। इन्हें भारतीय साहित्य ही नहीं अपितु जापानी साहित्य का भी भरपूर ज्ञान है। जापानी विधायें हाइकु, ताँका, चोका और सेदोका में ये पारंगत हैं।

‘  क्या रब की रज़ा है और तू ज़िंदा दिखा है  ‘ के बारे में अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

धन्यवाद।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *