हिंदी कविता संग्रह

घर पर हिंदी कविता :- घर पूछता है अक्सर यह सवाल | Ghar Par Kavita


अक्सर हम जब संघर्षरत जीवन के बाद सफलता पा लेते हैं तो हमारे जीवन में काफी कुछ बदल जाता है। उन बदली हुयी चीजों में होता है एक घर। जिसके साथ हमारी कई  यादें जुड़ी होती हैं। हम तो अपने सफल जीवन में उसका हाल भूल जाते हैं लेकिन वो सब कुछ याद रखता है और खुद को खाली पाकर क्या सवाल करता है? आइये पढ़ते हैं ( Poem On Ghar In Hindi )  घर पर हिंदी कविता “घर पूछता है” में :-

घर पर हिंदी कविता

घर पर हिंदी कविता

घर पूछता है,
अक्सर यह सवाल,
क्या जाना है तुमने,
कभी मेरा हाल?

या फिर समझ लिया,
ईंट, पत्थर, गारे का
बुत बेज़बान, मकबरे सा
जो हो दीदार-ए-आम!

पीढ़ियाँ दर पीढ़ियाँ,
जो चढ़ीं मेरी सीढ़ियाँ,
आज नहीं देखें कभी,
मेरे जर्जर हालात को।

बचपन की खेली थीं,
खूब मैंने अठ्ठखेलियाँ,
जवानी में भी,कान्हा संग
नाचीं थीं अनेक गोपियाँ।

दूल्हा बना, घोड़ी चढ़ा,
बारात में की कई मैंने मस्तियाँ,
मुँह दिखाई, फिर गोद भराई,
फिर से बचपन था मैं जिया।

पइयाँ पइयाँ तू चला,
फिर साइकिल का चक्का बढ़ा,
कार के नीचे कभी न,
तूने पांव था अपना धरा।

फिर समय का वहीं,
चक्का चला,
निरंतर आगे तू बढ़ा,
सपने किए साकार फिर,
न कभी तू पीछे मुड़ा।

मात-पिता जो हैं तेरे,
मन में अपने धीरज धरा,
तेरे नाम का दीया,
मेरे आंगन में सदा जला।

पर तू! क्या तुझे इसका,
भान है ज़रा।
यह न हो तेरे नाम का दीया,
बन जाए उनके अंतिम,
श्वास का दीया क्या है!

मैं तो हूँ केवल,
ईंट, पत्थर का एक ढांचा,
पर क्या नहीं है तुझे,
उनके प्रेम पर मान ज़रा सा?

कुछ तो दे ध्यान तू,
कर उनके प्रेम का मान तू,
आज, हाँ आज….

घर पूछता है,
यह सवाल,
क्या जाना है तुमने,
कभी मेरा हाल?
बोलो, कुछ तो बोलो,
क्या जाना है तुमने,
कभी मेरा हाल?

पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग की ये बेहतरीन रचनाएं :-


akshunya anurupa

मेरा नाम अक्षुण्णया अनुरूपा है। लेखन मुझे विरासत में मिला, शौकिया तौर माँ, पिताजी, दीदी, भैया सब लिखते हैं और अगली पीढ़ी भी लेखन का प्रयास करती है। हालाँकि मैं किसी प्रकार की शैली नहीं जानती बस लेखन मेरा शौक, लेखन मेरी पूजा यूँ तो अभी लिखना शुरू किया है, सपनों को अपने आकाश की ओर उछाल दिया है । कोशिश है छोटी सी, थोड़ा सा होंसला किया है, जाना है बहुत दूर, अभी तो सफर शुरू ही किया है।। एक गृहिणी, एक माँ, एक बहू, एक बेटी और एक पत्नी हूँ । यूँ तो मैंने अंग्रेजी साहित्य में स्नातक किया है परंतु मैं राष्ट्रीय भाषा हिंदी में अधिक लेखन का प्रयास करती हूँ।

‘ घर पर हिंदी कविता ‘ के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

धन्यवाद।

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *