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बसंत की सुहानी ऋतू के बाद जब ग्रीष्म ऋतू आती है तो हाल बेहाल हो जाता है। फिर तो बस सब गर्मी को कोसना शुरू कर देते हैं। चारों तरफ गर्मी से पीड़ित लोग और सिर के ऊपर सूरज भगवान् का प्रकोप। तो आइये ऐसी ही गर्मी की कुछ बातें जानने के लिए ‘ गर्मी पर कविता ‘।
गर्मी पर कविता
1. गर्मी का मौसम है आया
गर्मी का मौसम है आया
सबको इसने बहुत सताया,
आसमान से आग है बरसे
सूरज ने फैलाई माया।
कूलर, पंखे, ए.सी. चलते
दिन भी न अब जल्दी ढलते,
पल भर में चक्कर आ जाते
थोड़ी दूर जो पैदल चलते।
जून का है जो चढ़े महीना
टप टप टप टप बहे पसीना,
खाने का कुछ दिल न करता
मुश्किल अब तो हुआ है जीना।
सूखा है जल नदियों में
पंछी है प्यासा भटक रहा,
कहीं छाँव न मिलती है उसको
देखो खम्भे पर लटक रहा।
कुल्फी वाला जब आता है
हर बच्चा शोर मचाता है,
खाते हैं सब बूढ़े बच्चे
दिल को ठंडक पहुंचाता है।
सूनी गलियां हो जाती हैं
जब सूर्या शिखर पर होता है,
रात को जब बली गुल हो
तो कौन यहाँ पर सोता है?
न जाने ये है कहाँ से आया
हमने तो इसको न बुलाया,
परेशान इससे सब हैं
ये किसी के भी न मन को भाया।
गर्मी का मौसम है आया
सबको इसने बहुत सताया,
आसमान से आग है बरसे
सूरज ने फैलाई माया।
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2. ओ सूरज भगवान्
ओ सूरज भगवान क्यों करते परेशान
इतने गरम क्यों होते कि निकले सबकी जान,
क्यों तरस न हम पर करते
हम पल-पल गर्मी में मरते
गलियाँ सूनी पड़ जातीं
जब तुम हो शिखर पर चढ़ते,
राहत कैसे हम पायें
कुछ देदो हमको ज्ञान
ओ सूरज भगवान क्यों करते परेशान
इतने गरम क्यों होते कि निकले सबकी जान।
जो बिजली चली जाती पल में गीले हो जाते
फिर काम न होता कोई सब लोग ढीले हो जाते
कभी गलती से जो मौसम बदले
पाकर बारिश का पानी फिर सब छैल छबीले होते,
पर जब रूप दिखाते अपना
दुविधा में पड़ता सारा जहान
ओ सूरज भगवान क्यों करते परेशान
इतने गरम क्यों होते कि निकले सबकी जान।
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धन्यवाद।
7 comments
Please make a small poem next time 🙏
2 one is not much good and 1st one is little good its ok lines nikaal nikaal ke likh lenge ham legend h 🙈🙊
Your poems are very good but I have a request that from next time make small and give many options to write ✍️ and please 🥺 don't say no…
Bahut Badiya
Please मौसम की मार पर एक कविता जरूर लिखे।
Please can you make a small poem garmi
ka mausam aaya
Yes why not.. but is it a demand or request?