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देशप्रेम पर छोटी कविता में पढ़िए पाकिस्तान को चुनौती देती एक भावपूर्ण कविता। भारत और पाकिस्तान की दुश्मनी से कौन वाकिफ नहीं है। जबसे भारत आज़ाद हुआ तब से ही पाकिस्तान उसे धोखा देते आ रहा है। भारत हर बार उसे मुंहतोड़ जवाब देता रहा है। एक बड़े भाई की तरह हर बार पाकिस्तान को उसकी गलती के लिए माफ़ कर देता है। लेकिन पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि माफ़ कर देने का अर्थ यह नहीं हम मजबूर हैं। ऐसा ही कुछ सन्देश दे रही है ये देशप्रेम पर छोटी कविता :-
देशप्रेम पर छोटी कविता
भारत का हर लाल कह रहा, सुन ले पाकिस्तान।
अगर सलामत रहना चाहे, त्याग जरा अभिमान।।
नीज कर्म से सदा कलंकित, करता उल्टे काम।
तनी त्यौरी आर्यावर्त्त की, मिटे जगत से नाम।।
आतंकी हमले करता है, नहीं सुने तू बात।
जिसके टुकड़ों पर पतला है, करे उसी से घात।।
छुटभैये आतंकी हमला, करता है दिन रात।
संमुख आकर जीत सके तू, नहीं न है औकात।।
घात लगाए बैठा रहता, करता है नुकसान।
गर न सम्हला अब भी प्यारे, होगा तू शमशान।।
बात मानले अब भी मेरी, नही हुआ है देर।
मानेंगे प्रातः का भटका, लौटा देर सबेर।।
हमने तुमको दूध पिलाया, गरल रहा है बाँट।
बहुत हुआ है अब न सहेंगे, खड़ी करेंगे घाट।।
सीमावर्ती निर्दोषों को, रोज रहा तू मार।
भ्रात मान कर छोड़ रहे है, समझ नही लाचार।।
अपने बच्चों से तुझको अब, रहा तनिक भी प्यार।
छोड़ शत्रुता हाथ मिलाले, जैसे मिलते यार।।
शान्ति का संदेश लिए ह,म खड़े है तेरे द्वार।
वर्ना तेरे घर में जाकर, तुझे करेंगे खार।।
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यह कविता हमें भेजी है पं. संजीव शुक्ल “सचिन” जी ने। आपका जन्म गांधीजी के प्रथम आंदोलन की भूमि बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के मुसहरवा(मंशानगर ग्राम) में 07 जनवरी 1976 को हुआ था | आपके पिता आदरणीय विनोद शुक्ला जी हैं और माता आदरणीया कुसुमलता देवी जी हैं जिन्होंने स्वत: आपको प्रारंभिक शिक्षा प्रदान किए| आपने अपनी शिक्षा एम.ए.(संस्कृत) तक ग्रहण किया है | आप वर्तमान में अपनी जीविकोपार्जन के लिए दिल्ली में एक प्राईवेट लिमिटेड कंपनी में प्रोडक्शन सुपरवाईजर के पद पर कार्यरत हैं| आप पिछले छ: वर्षों से साहित्य सेवा में तल्लीन हैं और अब तक विभिन्न छंदों के साथ-साथ गीत,ग़ज़ल,मुक्तक,घनाक्षरी जैसी कई विधाओं में अपनी भावनाओं को रचनाओं के रूप में उकेर चुके हैं | अब तक आपकी कई रचनाएं भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपने के साथ-साथ आपकी “कुसुमलता साहित्य संग्रह” नामक पुस्तक छप चुकी है |
आप हमेशा से ही समाज की कुरूतियों,बुराईयों,भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर कलम चलाते रहे हैं|
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धन्यवाद।
6 comments
हार्दिक शुभकामनाएं आपको और बधाई
हार्दिक शुक्रिया आदरणीय Sandeep Kumar Singh Ji
AApko aapki rachana ke liye bahut bhaut badaiyan. Ak choti si par bahut naik aur bada matlb lye huye hai ye kavita.. shubkamnaye… muje bhi aapke ashirwad ki jarurat hai.. ashirwad n dena bhule… www.newquotesnwallpaper.com
धन्यवाद अलोक प्रताप सिंह जी,, भगवान आपको सफलता की बुलंदियों तक पहुंचाए….
रचनाकार को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई
रचना गम्भीर और समाज को ग्राहय होने की उम्मीद करता हूं! सद्भाव सहित
धन्यवाद सुखमंगल सिंह जी….