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‘ आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता ‘ में आजादी का महत्त्व प्रतिपादित करते हुए शहीदों के बलिदान को याद किया गया है। कविता में आजादी की रक्षा का आह्वान करते हुए इसके लाभों को जन – साधारण तक पहुँचाने का आग्रह किया गया है। आजादी के बाद हमने लोकतंत्र का मार्ग अपनाया है और सभी नागरिकों के लिए एक संविधान स्वीकृत किया है। हमारा संविधान बिना भेदभाव सभी नागरिकों को स्वतंत्रता और समानता के अवसर प्रदान करता है। हमारा भी कर्त्तव्य है कि हम अपने मन को देशभक्ति के रंगों में रंगकर आपस में प्रेमपूर्ण व्यवहार करें।
आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता
अमृत महोत्सव आजादी का
भरे हृदय में ऊर्जा अभिनव,
अवसर जो पाए विकास के
करे उन्हें हर जन ही अनुभव।
आजादी सबको है भाती
नहीं चाहता कोई बन्धन,
अपनी इच्छा से हर प्राणी
करना चाहे जीवन – यापन।
हमने भी जब अंग्रेजों से
पाई थी मिलकर आजादी,
खुली हवा में साँस ले सकी
तब जा भारत की आबादी।
आजादी की कीमत भारी
हमको भी तो पड़ी चुकानी,
वीर शहीदों ने हँस – हँसकर
दे दी थी अपनी कुर्बानी।
फाँसी पर जो चढ़े देशहित
आओ ! उनको याद करें हम,
आजादी की रक्षा में भी
दिखलाएँ हम पूरा दमखम।
गर्व करें सब भारतवासी
अब हम अपने भाग्य – विधाता,
जोड़ा है सब भेद भुलाकर
लोकतंत्र से अपना नाता।
जो वैधानिक प्रावधान हैं
रखें बनाए उनकी गरिमा,
सबको गौरव देने वाले
संविधान की गाएँ महिमा।
अमृत महोत्सव मना सभी हम
मन को अपने करें तिरंगा,
उत्तर से लेकर दक्षिण तक
देशप्रेम की लहरे गंगा।
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