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आप पढ़ रहे है, संदीप कुमार सिंह की शायरी संग्रह – 4
संदीप कुमार सिंह की शायरी संग्रह
1. बेबसी
सुला दिया है मैंने अपने ईमान को इस भ्रष्ट बाजार में,
पता चला है की बर्बाद हो गए हैं कई शिष्टाचार में,
राज चोरों का चल रहा है यहाँ ज़मीर वालो पर
ताकत आ गयी है आज कल बुराई के हथियार में।
2. नज़र
बड़ी मुद्दत बाद मिला तो
उसकी नजरों ने आज ऐसा काम किया,
खामोश रहा वो भरी महफ़िल में,
और जी भर के हमें बदनाम किया।
3. भूख प्यार की
सुला दे मुझे कोई झूठा दिलासा देकर,
बहुत देर से भूखा हूँ मैं,
रोटी ना मिली एक वक्त की मुझे
बस खाने को धोखे ही मिले
माँ के जाने के बाद।
4. सबात
खुश तो रहता हूँ मैं आज कल
पर दिल में दर्द-ए-जज़्बात बहुत हैं,
चल रही है जिंदगी बिना रुके पर
कहीं ख्यालों का सबात बहुत है।
सबात = ठहराव
5. अंत
न गम कर ऐ मुसाफिर
चंद लम्हों में जिंदगी बीत जाएगी,
अंजाम विदाई होगी इस दुनिया से
मिट्टी कब्र की या श्मशान की
तेरे हिस्से आएगी।
6. बेवफा
मत छेड़ तराने दिल के
जब भी सुनते हैं बिखर जाते हैं,
दिल बदल जाता है जब लोगों का
चेहरे खुद-ब-खुद बदल जाते हैं।
7. ख़ामोशी
न याद करूगाँ, न फरियाद करूगाँ,
तेरा ज़िक्र न तेरे जाने के बाद करूगाँ,
बर्बाद भी हुआ जो तुझसे दूर होकर,
मैं बयाँ न अपने जज़्बात करूगाँ।
8. सोच
नदी बनकर न मिटाउंगा अस्तित्व अपना,
अब सागर को मुझ तक आना होगा।
राही नहीं मंजिल बनुंगा मैं,
हर मुसाफिर को मुझ तक आना होगा।
अन्य शायरी संग्रह पढ़े-
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- Hindi Shayari Collection-3
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- झूठी दुनिया के झूठे लोग – संदीप कुमार सिंह का शायरी
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धन्यवाद।
8 comments
Nice
Thank you Prabhat bro……
very very nice
Thanks Pramod Kumar Ji….
बेहतरीन
Thanks Atul Verma ji……
Very nice
Thanks Kishor ji….