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जिंदगी पर कविता में पढ़िए कैसे जिंदगी हमें हर पल कुछ न कुछ दिखाती रहती है। कभी हंसाती है। कभी रुलाती है। कभी तो ऐसा लगता है मानो हमारी मर्जी के अनुसार ही चल रही है जिंदगी और कभी लगता है जैसे जिंदगी ही हमारी सबसे बड़ी दुश्मन है। जिंदगी हर क्षण कुछ न कुछ नया कर कर रही है । कैसे कर रही है आइये जानते हैं इस जिंदगी पर कविता में :-
जिंदगी पर कविता
न जाने आज किस ओर जा रही है जिंदगी
कुछ कदम साथ चल दम तोड़ रही है जिंदगी,
सजाये थे सपने संग जीने मरने के
भूलकर आज फिर मुँह मोड़ रही है जिंदगी।
खुद ही में आज फिर यूँ खो रही है जिंदगी
हर पल हर लम्हा साथ रो रही है जिंदगी,
वक़्त की बेरुखी से हाथ छूट अश्रु बहे
नाकाम ए इश्क के गम धो रही है जिंदगी।
हर दिन हर रात मुझे रुला रही है ज़िन्दगी
दिल के अहसासों को सुला रही है जिंदगी,
न रही डोर मोहब्बत की अपने हाथ में
फिर बेवफा बन मुझे भुला रही है जिंदगी।
हालातों से बेसुध हो रही है जिंदगी
प्यार में धोखे खाकर क्रुद्ध हो रही है जिंदगी,
अपने अनुकूल चल रही थी जो मोहब्बत
अनजान बन फिर विरूद्ध हो रही है जिंदगी।
उसके दर्द से जख्मी हो रही है जिंदगी
आज फिर से सहमी सी हो रही है जिंदगी,
तोड़ सारे वादों को क्यूँ छोड़ गयी मुझको
सवालों से रणभूमि हो रही है जिंदगी।
बिछुड़न की आग में फिर जल रही है जिंदगी
मिलने की चाह में फिर पल रही है जिंदगी,
राह तेरी ताकता हूँ कि तू आएगी कभी
लड़खड़ाते हुए सही चल रही है जिंदगी।
- पढ़िए :- जिंदगी की कविता “जिंदगी क्या है”
मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
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