Home » कहानियाँ » वृक्षारोपण दिवस : आओ पेड़ लगाने की एक्टिंग करें | वन महोत्सव पर व्यंग

वृक्षारोपण दिवस : आओ पेड़ लगाने की एक्टिंग करें | वन महोत्सव पर व्यंग

by Sandeep Kumar Singh
5 minutes read

वृक्षारोपण दिवस – आओ पेड़ लगाने की एक्टिंग करते हैं।

जी हाँ ये शीर्षक पढ़ आप लोगों के मन में एक पल के लिए ये तो जरुर आया होगा की हम लोग पेड़ लगाने की एक्टिंग क्यों करेंगे? हम कोई एक्टर थोड़े ही हैं। अरे भैया किस ग़लतफ़हमी में जी रहे हो आप? यहाँ सभी एक्टर हैं। बस कोई दिखता है और कोई छुपा ले जाता है।

किन्तु कुछ लोगों कि एक्टिंग ऐसी होती है की सारी दुनिया को इस बात की खबर होती है कि वो शख्स एक्टिंग कर रहा है। इतना ही नहीं उसे खुद को पता होता है कि वो एक्टिंग कर रहा है। फिर भी कोई ये बात सरेआम नहीं कहता।

आज हमारा ब्लॉग लेकर आया है एक ऐसी सच्चाई जिसे सुन आप हंस-हंस कर लोटपोट हो जाएँगे। क्या सोच रहे हैं ? अरे कुछ सोचिये मत। आपका मस्तिष्क कहीं काम करना न शुरू कर दे। तो चलिए मुख्य विषय पर आते हैं।


वृक्षारोपण दिवस : आओ पेड़ लगाने की एक्टिंग करें

वृक्षारोपण दिवस : आओ पेड़ लगाने की एक्टिंग करें

कुछ दिन पहले दोपहर को मैंने अब अख़बार पढ़ा तो…….. अरे हाँ यार, मैं दोपहर में अख़बार पढता हूँ। अभी अखबार उठाई ही थी तो देखा मुख्य पृष्ठ पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था।

हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री लल्लूलाल जी आने वाली जुलाई के प्रथम सप्ताह  वृक्षारोपण दिवस वाले दिन राज्य में एक लाख वृक्षों का वृक्षारोपण करने का आह्वान किया।

बस फिर क्या था, उनके चेलों ने अपना काम शुरू कर दिया। वृक्षारोपण दिवस की तैयारी जोरों-शोरों से शुरू हो गयी।

सबसे पहला वृक्षारोपण हुआ फेसबुक पर। बस फिर क्या था मुख्यमंत्री लल्लूलाल की तरकीब काम करने लगी। बस देखते-देखते सबके प्रोफाइल पिक्चर पर पेड़ उग आये। इतने हरियाली तो पूरे जहान में न रही होगी जितनी फेसबुक पर हो चुकी थी। आज कल तो फेसबुक पर घुमते हुए ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी जंगल में घूम रहे हों। क्या प्रिंस चार्मिंग और क्या एंजेल प्रिया सब पर एक ही रंग चढ़ा वो भी हरा।

यह भी पढ़े सोशल नेटवर्किंग साइट्स का प्रभाव | फेसबुकियो पर व्यंग्य बाण

कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने इस वृक्षारोपण दिवस में अभी तक फेसबुक पर कोई योगदान नहीं दिया था। उनकी उपस्थिति जंगल में जंगली जानवरों जैसी प्रतीत हो रही थी। ये तो कुछ भी नहीं जहाँ पहले व्हाट्सएप्प पर लोग मेसेज भेज कर किसी देवी देवता की सौगंध दिया करते थे वहीं आज एक पेड़ की फोटो भेज कर नेता लल्लूलाल की सौगंध देकर शेयर करने को कह रहे थे।

इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री के कहने पर लोग इतनी शिद्दत से वृक्षारोपण दिवस को सफल बनाने में लगे हुए थे। हर सरकारी कर्मचारी को ये आदेश हो चुका था कि अपने कपड़ों पर एक एक पेड़ का लोगो लगा कर रखें। दिन बहुत तेजी से निकलने लगे। राज्य भर में बहुत सारी जगहें हरे रंग से रंग दी गयी थीं।

सरकारी खजाने से बहुत सारे पैसे वृक्षारोपण की तैयारी में लगा दिए गए थे। ऐसा लगता था जैसे हम किसी और ही दुनिया में पहुँच गए थे। एक-दो जगह तो लोगों को वन महोत्सव के प्रति जागरूक करने के लिए पेड़ काट कर बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगा दिए गए थे। जिस पर पेड़ बचाने का सन्देश लिखा हुआ था।ऐसा पहली बार नहीं हो रहा था कि राज्य में वृक्षारोपण दिवस का कार्यक्रम किया जा रहा था। पहले तो बस निचले स्तर के अधिकारी ही पेड़ लगा दिया करते करते थे और वृक्षारोपण दिवस मान लिया जाता था।

आज तक ना जाने कितने ही पेड़ सारे NGOs, सरकारी कार्यक्रमों और प्रतिष्ठित लोगो  द्वारा लगाये जा चुके थे। जितने पेड़ साल में कटते है उसे ज्यादा पड़े इन NGOs, सरकारी कार्यक्रमों और दुसरे प्रितिष्ठितलोगो द्वारा लगाये जाते है। फिर भी पेड़ों कि संख्या कम होती जा रही है। एक दिन सुनने में आया कि शहर के बाहर जो एक छोटा सा जंगल है। वहां पेड़ों की कटाई चल रही थी। जांच-पड़ताल करने पर पता चला कि वन महोत्सव कि तैयारियां चल रही हैं।

ये इतिहास में पहला वन महोत्सव था जिसकी तैयारी वन को ख़त्म कर की जा रही थी। जांच-पड़ताल करने पर पता चला कि वृक्षारोपण दिवस के लिए कहीं भी जगह नहीं मिल रही है। लगभग हर बार का ऐसा ही कुछ नाटक था। एक जगह तो हमने खुद देखी थी जहाँ पिछले पांच सालों से एक ही जगह पर हर साल एक नया पेड़ लगाया जा रहा था।

अंततः वह सप्ताह आ ही गया जब मुख्यमंत्री लल्लूलाल जी लाल जी वृक्षारोपण दिवस मानाने के लिए शहर में आये। उनकी लाल बत्ती वाली गाड़ी आकर उस कटे हुए जंगल की ओर रुकी। यहाँ से लगभग 12000 पेड़ों को काटा गया था। लल्लूलाल जी के आते ही उनके सरे चमचे आस-पास आकर खड़े हो गए। अब सबकी एक्टिंग शुरू होने वाली थी। मीडिया वालों ने अपने कैमरे चालु कर लिए और शूटिंग आरम्भ हुयी। लल्लूलाल जी ने एक छोटा सा पेड़ लगाया और इसे देखते ही राज्य के अलग-अलग शहरों में सब छोटे-मोटे अधिकारीयों ने वृक्षारोपण किया। अब बारी थी उनके भाषण देने की। जिसमे उन्होंने कहा,

“हमे अपने पर्यावरण की अच्छे से देखभाल करनी चाहिए और जितने ज्यादा हो सके नए पेड़ लगाने चाहिए।”

इतना कहते ही लल्लूलाल जी अपनी कार की तरफ बढे। सब कैमरे बंद हो चुके थे। लल्लूलाल जी की कार के पास एक शख्स खड़ा उनका इंतजार कर रहा था। उसने एक फाइल लल्लूलाल जी को थमाई और लल्लूलाल जी ने उस पर हस्ताक्षर किये। वो जंगल वाली जमीन अब इस अनजान शख्स की हो चुकी थी। और पेड़ लगाने की एक्टिंग सफलतापूर्वक हो चुकी थी। कुछ सालों बाद वहां जंगल तो था लेकिन इमारतों का…………

पढ़िए- स्वच्छ भारत अभियान स्लोगन व नारे | Swachh Bharat Abhiyan Slogans

ये व्यंग्य आपको किसा लगा हमें जरुर बताये और शेयर करे। अगर आप भी ऐसे मजेदार व्यंग लिख सकते है तो हमसे संपर्क करे। तबतक हमारे साथ बने रहे।

पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग की अन्य व्यंग्य रचनाएं :-

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.