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मोरल स्टोरीज इन हिंदी | शिक्षाप्रद कहानियां | Three Moral Stories In Hindi

by ApratimGroup
8 minutes read

जीवन में गलतियाँ कौन नहीं करता। इन गलतियों से सीख कर आगे बढ़ने वाला अपनी एक अलग पहचान बना लेता है और गलतियाँ करने वाला बर्बाद हो जाता है। ऐसी ही कुछ सिक्षा दे रही हैं हमारी यह मोरल स्टोरीज इन हिंदी (Three Moral Stories In Hindi )

मोरल स्टोरीज इन हिंदी

मोरल स्टोरी इन हिंदी

मोरल स्टोरीज इन हिंदी – तालमेल पर कहानी

कलयुग में किसी के मुंह से अपशब्द सुनना आम बात है। आजकल के लोगों को न जाने क्या हो गया है?

मीठी वाणी तो दूर की बात, लोग आजकल किसी से बिना मतलब के बात भी नहीं करते हैं। बात करते भी हैं, तो न जाने क्यों अपशब्द का प्रयोग करते हैं? जिसका प्रयोग हमें भूलकर भी नहीं करना चाहिए, वह आज हमारी आदत बन चुका है।

कहानी है एक मालिक और एक नौकर की। एक गांव में एक पंजाबी ढाबा था। उस गांव में वह काफी प्रसिद्ध था। लोग वहां पर आते और बड़े चाव से खाना खाते। परंतु उस ढाबे पर एक नौकर ऐसा भी था जिसका काम में मन नहीं लगता था।

वह बहुत शांत रहता था। आए दिन उससे काम में गलती होती रहती और उसका मालिक उसे रोज खरी-खोटी सुनाता था। कभी वह अच्छे से बर्तन साफ नहीं कर पाता, कभी वह साफ सफाई नहीं कर पाता था और कभी कभार वह खाना भी अच्छे से नहीं बना पाता था। काफी दिन तक उसके मालिक ने उसकी गलतियों को नजर अंदाज किया, पर एक दिन उसके सब्र का बांध टूट ही गया।

एक दिन वह नौकर अपने ग्राहक को खाना परोस रहा था परंतु ना जाने क्या हुआ उसका पैर फिसल गया और उसका सारा खाना ग्राहक के ऊपर गिर गया। उसकी हरकत देख उसका मालिक उसके पास आया और उसे खूब खरी-खोटी सुनाने लगा तथा अपशबद का प्रयोग करने लगा। वह बेचारा नौकर शांति से अपने मालिक की बात सुन रहा था, उसने कुछ नहीं कहा।

कुछ समय बाद उसके नौकर ने सिर्फ इतना ही कहा, ‘मैं अस्वीकार करता हूं।’ और वहां से चला गया। उसका मालिक उसकी बात समझ ना सका और संदेह में पड़ गया। बगल में खड़ा एक व्यक्ति सबकुछ देख रहा था। उसने बड़ी समझदारी के साथ उसके मालिक को एक उदाहरण के जरिए समझाया।

उसने पूछा. “क्या तुम्हारे घर कभी कोई मेहमान आते हैं?”

ढाबे के मालिक ने कहा-

“जी हां आते हैं।”

– तो तुम उनके स्वागत तथा खान-पान की तैयारी अवश्य करते होगे।

मालिक ने कहा-जी हां हम अतिथि को भगवान मानते हैं और उनका स्वागत व खान-पान की तैयारी दिल से करते हैं। इसी बात पर उस व्यक्ति ने पूछा, “यदि आपका “मेहमान आपकी दी गई वस्तु को ना लें तो उनका क्या होता है? मालिक ने कहा, “यदि हमारा मेहमान हमारी दी गई वस्तु को नहीं लेता है तो हम उसके फैसले का सम्मान करते हैं और वह वस्तु उनके जाने के बाद हमारे घर में ही रह जाती है।”

इसी बात पर उस व्यक्ति ने उसे समझाया, ‘जो अपशब्द और खरी खोटी बातें तुमने उस बेचारे नौकर को सुनाई थी उसने वह सारी बातें उसने स्वीकार नहीं कीं और वह सारी बातें तुम्हारे पास ही रह गई। वह चुपचाप तुम्हारी बातें सुन रहा था। गलतियां किससे नहीं होतीं? सबसे होती हैं, परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसी को अपशब्द कहे।’ मालिक को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने अपने बुरे व्यवहार के लिए नौकर से जाकर माफी मांगी।

Moral :- कृपया मधुर वाणी का उपयोग करें, क्रोध में आकर अपशब्दों का उपयोग ना करें। तभी हम आपस में तालमेल बना कर रख सकेंगे। नहीं तो सब हमसे दूर होते जाएँगे।


मोरल स्टोरीज इन हिंदी – अहंकार पर कहानी

धरती पर जन्म लेने के साथ ही सीखने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है और फिर जल्द ही हम उठाना, बैठना, बोलना, चलना सीख लेते हैं। उसके बाद हम पढ़ाई – लिखाई आदि चीजें सिखाते हैं, लेकिन इन सभी प्रक्रियाओं में कभी – कभी हमारा अहंकार अधिक बड़ा हो जाता है और तब हम सीखना छोड़कर गलतियां करने लगते हैं।

अहंकार हमारे विकास के मार्ग को रोक देता है।  आज इस बात की चर्चा करते हुए आपको बताने जा रहे हैं एक कहानी जिससे बात और भी अच्छे से समझ आएगी।

एक बार की बात है।  रूस में एक महान विचारक रूस के ही एक महान संत से मिलने पहुंचे। संत ने उनका स्वागत किया और उसके बाद दोनों में विभिन्न विषयों पर चर्चा होने लगी।

विचारक ने संत से कहा, ” वैसे तो मैंने गहन अध्ययन और अनुभव से काफी ज्ञान अर्जित किया है लेकिन मैं कुछ और भी जानना चाहता हूँ। क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं ? ”


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संत को पता था विचारक बहुत ही विद्वान् हैं लेकिन उन्हें इसका घमंड है। उन्होंने सोचा कि अहंकार ठीक नहीं है। अतः इन्हें सबक सिखाना जरुरी है।

उन्होंने कुछ देर विचार किया और फिर एक कोरा कागज़ उनके तरफ बढ़ाते हुए बोले, ” यह बहुत अच्छी बात है कि आप कुछ सीखना चाहते हैं , लेकिन मुझे यह ज्ञात नहीं है कि आपने अभी तक क्या – क्या सीखा है और क्या – क्या नहीं।  अतः आप इस कागज़ पर जो – जो सीखा है वह और जो सीखना चाहते हैं लिख दें। जिससे मुझे आपको सिखाने में आसानी होगी और आपको भी सीखने में।  इससे जो आप नहीं जानते होंगे वह मैं आपको सीखा दूंगा। ”

बात सो एकदम आसान थी लेकिन विचारक के लिए अत्यंत ही कठिन। उसका सारा घमंड चकनाचूर हो गया।  विचारक आत्मा और परमात्मा के बारे में तो जानते थे लेकिन तत्व – स्वरुप और भेद – अभेद के बारे में सोचा तक नहीं था।

संत की बात सुनकर वे सोच में पड़ गए। उन्होंने काफी देर तक विचार किया और जब उन्हें कुछ नहीं समझ में आया तो कोरा कागज़ उन्होने संत को वैसे ही वापस दे दिया और फिर संत से बोले, ”  श्रीमान मैं तो कुछ भी नहीं जानता।  ”

विचारक के विनम्रतापूर्वक कहे गए इन शब्दों से संत बहुत प्रभावित हुए और मुस्कुराये हुए बोले, ” आज आपने जानने वाली पहली बात जान ली कि आप कुछ नहीं जानते।  यही ज्ञान की प्रथम सीढ़ी हैं। अब आपको कुछ भी सिखाया और बताया जा सकता है। एक बात जान लो खाली बर्तन को ही भरा जा सकता है, परन्तु अहंकार से भरे बर्तन में ज्ञान भरना असंभव है। ज्ञानी बनाने के लिए सबसे जरुरी यह है कि मनुष्य ज्ञान को पा लेनी का संकल्प ले।  उसे जहां भी कुछ अच्छा सीखने को मिले वह सीखे।

शिक्षा :- अहंकारी मनुष्य सदा अज्ञानी रहता है


मोरल स्टोरीज इन हिंदी – मतलब की दुनिया कहानी

एक बार की बात है। एक तोता मैना की जोड़ी एक पेड़ कि डाली पर बैठी थी. खुबसूरत चाँदनी रात थी। मैना ने उदास होते हुए तोते से कहा कि तुम मुझे कभी छोड़कर कहीं तो नहीं जाओगे ना।

इस पर तोता मुस्कुराया और बोला जब यह पंख रहेंगे तब तो मैं कहीं जा पाउँगा और यह कहकर उसने अपने पंख काट दिए। इसके बाद तोता और मैना वहाँ ख़ुशी से रहने लगे। समय गुजरता गया और इनके प्यार की चर्चा पूरे  जंगल में फ़ैल गयी थी। हर कोई इनके सच्चे प्यार की मिसाल देता।

लेकिन प्यार जितना सरल है उतना ही कठिन है। प्यार परीक्षा भी लेता है और जो उस परीक्षा को पास कर लिया वही सच्चा आशिक है। एक दिन जोर का तूफ़ान आया।

इस पर मैना ने कहा कि तुम तो उड़ नहीं सकते सो मैं चली जाती हूँ और तूफ़ान शांत होने पर वापस आ जाउंगी। तूफ़ान बहुत जोर का था और उससे भी अधिक तेज तूफ़ान तोते के दिल में उड़ रहा था। यह तूफ़ान तोता सह नहीं सका और उसने अपने प्राण त्याग दिए।

कुछ दिन बाद जब तूफ़ान शांत हुआ और सभी पक्षी अपने झरोखे तक पहुँचने लगे और उसी कड़ी में मैना भी अपने झरोखे तक पहुंची। उसने देखा कि तोता मर चुका था। उसने एक डाली पर लिखा था कि काश उस दिन तुमने बस इतना कह दिया होता कि मेरा इन्तजार करना तो शायद मैं तुम्हारे आने तक जरुर ज़िंदा रह जाता।

शिक्षा :- कभी किसी की बातों में आकार अपनी ताकत को अपनी कमजोरी मत बनाएं। अगर वो सच में आपका चाहने वाला है तो आपको और ताकतवर बनाएगा।

मित्रों यह मोरल स्टोरीज इन हिंदी ( Three Moral Stories In Hindi ) आपको कैसी लगी जरूर बताएं और Moral Story Hindi की तरह की दूसरी कहानी के लिए इस लिंक Moral Story in Hindi Pdf पर क्लिक करें।

पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग की ये शिक्षाप्रद कहानियां :-

धन्यवाद।

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2 comments

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Bhaveshkumar Sureshbhai Raval मई 24, 2020 - 9:51 पूर्वाह्न

Hello Apratim Group,
Apke sabhi blogs badhot hi badhiya hai!
Muje kafi pasand aye hai, agar apki anumati hot to me isse audio me convert kar sakta hu?

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 27, 2020 - 2:12 अपराह्न

भावेश जी हमें [email protected] पर संपर्क करें…धन्यवाद….

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