Home » हिंदी कविता संग्रह » देशभक्ति कविताएँ » स्वतंत्रता दिवस पर कविता – आजादी की नई भोर जब | Independence Day Poem

स्वतंत्रता दिवस पर कविता – आजादी की नई भोर जब | Independence Day Poem

2 minutes read

15 अगस्त 1947, जिस दिन भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुयी थी। इस बात की ख़ुशी को आज तक मनाया जाता है। जब-जब यह दिवस आता हर भारतीय के हृदय में देशभक्ति की भावना हिलोरे मरने लगती है। दिन तो उस दिन भी हर रोज की भांति ही निकलता है लेकिन आजादी का नाम जुड़ जाने से सब कुछ देशभक्ति के रंग में रंगा हुआ नज़र आता है। आइये पढ़ते हैं उसी स्वतंत्रता दिवस को समर्पित देशभक्ति स्वतंत्रता दिवस पर कविता :-

स्वतंत्रता दिवस पर कविता
स्वतंत्रता दिवस पर कविता

आजादी की नई भोर जब
पूरब से मुस्काई,
दमक उठा धरती का कण कण
मन में खुशियाँ छाई।

भारत माँ आजाद हो गई
मुक्ति दुःखों से पाई,
काट गुलामी की बेड़ी को
फिर से ली अँगड़ाई।

लेकिन आजादी की कीमत
हमने बड़ी चुकाई,
इसको पाने में कितनों ने
अपनी जान गँवाई।

अंग्रेजों ने जाते जाते
ऐसी आग लगाई,
टुकड़े-टुकड़े देश हो गया
लड़े परस्पर भाई।

पड़े नहीं अब नव विकास पर
फिर काली परछाई,
संप्रदाय भाषा भेदों की
सब मिल पाटें खाई।

आजादी ही खुशहाली की
करती है अगवाई,
रक्षा इसकी करें सभी जन
बनकर एक इकाई।

इस कविता का विडियो देखने के लिए नीचे क्लिक करें :-


‘ स्वतंत्रता दिवस पर कविता ‘ के बारे में अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग की ये बेहतरीन देशभक्ति रचनाएं :-

धन्यवाद।

आपके लिए खास:

2 comments

Avatar
Manoj Khedekar जनवरी 17, 2022 - 11:24 पूर्वाह्न

सर जी आपकी कविता पढकार बदन में रॉंगटे खडे हुए | आप की कल्पना को शतशः नमन 👏🏽👏🏽👏🏽…

Reply
Avatar
Suresh jain अगस्त 15, 2019 - 2:06 अपराह्न

JainGuru ke liye sayari beje

Reply

Leave a Comment

* By using this form you agree with the storage and handling of your data by this website.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More

Adblock Detected

Please support us by disabling your AdBlocker extension from your browsers for our website.