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श्री रामचंद्र कृपालु भजमन अर्थ सहित – यह तो विश्व विख्यात है कि तुलसीदास जी राम के कितने बड़े भक्त थे। एक बार की बात है कि तुलसीदासजी असीघाट पर रहने लगे थे, तब एक रात कलियुग मूर्तरूप धारणकर उनके पास आऐ और उन्हें दुःख देने लगे। गोस्वामी जी ने हनुमान्जी का ध्यान किया। तब हनुमान्जी ने उन्हें कलियुग के प्रभाव से बचने के लिए विनय के पद रचने के लिए कहा। इस पर गोस्वामीजी ने विनय-पत्रिका लिखी और भगवान् के चरणों में उसे समर्पित कर दिया। श्रीराम ने उस पर अपने हस्ताक्षर कर दिये और तुलसीदास जी को निर्भय कर दिया।
” श्री रामचंद्र कृपालु भज मन ” अथवा ” श्री राम स्तुति ” विनय पत्रिका में ही श्री राम जी की महिमा पर लिखी गयी रचना है। आप में से बहुत से लोगों ने इसे सुना तो होगा लेकिन इसका अर्थ नहीं जानते होंगे। तो आइये पढ़ते हैं श्री रामचंद्र कृपालु भजमन अर्थ सहित :-
Shri Ram Stuti Lyrics
श्री रामचंद्र कृपालु भजमन अर्थ सहित
Shri Ram Stuti Lyrics In Hindi
॥ श्री राम स्तुति ॥
श्री रामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणं।
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज, पद कंजारुणं ॥१॥
कंदर्प अगणित अमित छवि, नवनील नीरद सुंदरं।
पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं ॥२॥
भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्य-वंश निकंदनं।
रघुनंद आनंदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनं ॥३॥
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणं।
आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खरदूषणं ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं।
मम हृदय कंज निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनं ॥५॥
॥ जय श्री राम ॥
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Shri Ram Stuti Lyrics PDF In Hindi
Ram stuti lyrics in English Font
॥ Sri Ram Stuti ॥
Sriramchandra kripalu bhajamana harana bhava bhaya darunam
Navakanja lochana kanja mukha kara kanja pada kanjarunam।।1।।
Kandarpa aganita amita chhavi navanila nirada sundaram
Pata peeta manahu tadita ruchi suchi naumi janaka sutavaram ।।2।।
Bhaja dinabandhu dinesha danava daitya vansha nikandanam
Raghunanda anandakanda koshalachandra dasaratha nandanam ।।3।।
Sira mukuta kundala tilaka charu udaru anga vibhushanam
Ajanubhuja shara chapa dhara sangrama jita kharadushanam ।।4।।
Iti vadati tulsidasa shankara shesha muni mana ranjanam
Mama hrudaya kanja nivasa kuru kamadi khala dala ganajanam ।।5।।
॥ Jai Sri Ram ॥
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Shri Ram Stuti Lyrics PDF In English Font
श्री रामचंद्र कृपालु भजमन अर्थ सहित
॥ श्री राम स्तुति ॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन हरणभवभयदारुणम्।
नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर-कंज पदकंजारुणम् ॥१॥
अर्थ – हे मन ! कृपालु श्री रामचंद्र जी का भजन कर। वे संसार के जन्म-मरण रूपी दारुण भय को दूर करने वाले हैं। उनके नेत्र नव-विकसित कमल के समान हैं। मुख-हाथ और चरण भी लालकमल के सदृश हैं।
कन्दर्प अगणित अमित छवि, नवनील नीरद सुन्दरम्।
पट पीत मानहु तड़ित रूचि शुचि नौमि जनक सुतावरम् ॥२॥
अर्थ – उनके सौन्दर्य की छ्टा अगणित कामदेवों से बढ़कर है। उनके शरीर का नवीन नील-सजल मेघ के जैसा सुन्दर वर्ण है। पीले वस्त्रों में मेघरूप शरीर मानो बिजली के समान चमक रहा है। ऐसे पावनरूप जानकीपति श्रीरामजी को मैं नमस्कार करता हूँ।
भजु दीनबन्धु दिनेश दानव-दैत्य-वंश निकन्दनम्।
रघुनन्द आनन्दकन्द कोशलचन्द्र दशरथ-नन्दनम् ॥३॥
अर्थ – हे मन ! दीनों के बन्धु, सूर्य के समान तेजस्वी, दानव और दैत्यों के वंश का समूल नाश करने वाले, आनन्दकन्द कोशल-देशरूपी आकाश में निर्मल चन्द्रमा के समान, दशरथनन्दन श्रीराम का भजन कर।
सिर मुकुट कुण्डल तिलकचारू उदारु अंग विभूषणम्।
आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खरदूषणम् ॥४॥
अर्थ – जिनके मस्तक पर रत्नजड़ित मुकुट, कानों में कुण्डल, मस्तक पर सुंदर तिलक, और प्रत्येक अंग मे सुन्दर आभूषण सुशोभित हो रहे हैं। जिनकी भुजाएँ घुटनों तक लम्बी हैं। जो धनुष-बाण लिये हुए हैं, जिन्होनें संग्राम में खर-दूषण को जीत लिया है।
इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनम्।
मम हृदय कंज निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनम् ॥५॥
अर्थ – जो शिव, शेष और मुनियों के मन को प्रसन्न करने वाले और काम, क्रोध, लोभादि शत्रुओं का नाश करने वाले हैं, तुलसीदास प्रार्थना करते हैं कि वे श्रीरघुनाथजी मेरे हृदय कमल में सदा निवास करें।
॥ जय श्री राम ॥
Shri Ram Stuti Lyrics In English Font With Meaning
॥ Sri Ram Stuti ॥
Sriramchandra kripalu bhajamana harana bhava bhaya darunam
Navakanja lochana kanja mukha kara kanja pada kanjarunam।।1।।
Meaning – O mind! Worship the gracious Shri Ramchandra ji. He is the one who removes the dreadful fear of birth and death of the world. His eyes are like newly grown lotus. The face, hands and feet are also like red lotus and like the rising sun.
Kandarpa aganita amita chhavi navanila nirada sundaram
Pata peeta manahu tadita ruchi suchi naumi janaka sutavaram ।।2।।
Meaning – His beauty is greater than that of countless Cupids. His body has a beautiful complexion like a newly formed beautiful blue cloud. The cloud-like body in yellow clothes is shining like lightning. He is the consort of the daughter of Sri Janak (Sri Sita), the embodiment of sacredness.
Bhaja dinabandhu dinesha danava daitya vansha nikandanam
Raghunanda anandakanda koshalachandra dasaratha nandanam ।।3।।
Meaning – O mind, sing praises of Sri Ram, a friend of the poor. He is the lord of the solar dynasty. He is the destroyer of demons and devils. The descendant of Sri Raghu is the source of joy, a moon of his mother Kaushalya and he is the son of Sri Dashrath.
Sira mukuta kundala tilaka charu udaru anga vibhushanam
Ajanubhuja shara chapa dhara sangrama jita kharadushanam ।।4।।
Meaning – His head is adorned with a gem-studded crown, pendants are on his ears, a beautiful tilak (crimson mark) is on the forehead, and beautiful ornaments are adorned in every part. His arms are long till the knees. He holds a bow and an arrow. He emerged victorious in the battle with demons Khar and Dushan.
Iti vadati tulsidasa shankara shesha muni mana ranjanam
Mama hrudaya kanja nivasa kuru kamadi khala dala ganajanam ।।5।।
Meaning – The one who pleases the mind of Shiva, Shesha and sages and destroys the enemies of lust, anger and greed, Tulsidas prays that Shri Raghunathji may reside in my lotus heart forever.
॥ Jai Sri Ram ॥
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