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दिन की सुरुवात सुबह से होती है। और सुबह की खूबसूरती तो आप सबको पता ही है। अगर सुबह शरद ऋतू की हो और साथ में कोहरे की चादर भी हो तब तो सुबह का नजारा ऐसा खुबसूरत बन पड़ता है की मन आनंदित हो जाता है।
अब कुछ लोग ये ना पूछ ले की शरद ऋतू कब से शुरू होती है? हमारे भारत में जब मानसून वापस लौटता है उसके बाद सितम्बर से लेके दिसम्बर तक शरद ऋतू होता है। जिस दिन शरद पूर्णिमा मानते है उसके बाद से ही शरद ऋतू प्रारंभ हो जाता है।
शरद ऋतू में ठण्ड दिन-ब-दिन बढ़ते जाता है। दिन छोटे होते चले जाते है। सुबह कोहरे के आँचल में छिपते जाता है। चारो और हरियाली रहती है। धुप सुहानी लगती है। इस प्रकार शरद ऋतू और इसकी सुबह बहुत ही मनभावन होता है।
तुलसीदास जी ने भी शरद ऋतू के बारे में रामचरितमानस में लिखा है
“बरषा बिगत सरद ऋतु आई। लछिमन देखहु परम सुहाई॥
फूलें कास सकल महि छाई। जनु बरषाँ कृत प्रगट बुढ़ाई॥”
ऐसे ही शरद ऋतू की कोहरे से ढकी एक सुबह की खूबसूरती पे चंद लाइने हमने भी प्रस्तुत की है।
कोहरे की चादर
कोहरे की चादर ओढ़ी सुबह
निकली सूरज की लाली में,
ओस की बूँदें लगे हैं मोती
खेतों की हरियाली में।
शीत लहर का मौसम ऐसा
रंग बिरंगे बागों में,
मंद-मंद मुस्काऐ कुसुम
पौधों की पतली डाली में।
खग नभ में जो उड़ते जाएँ
गीत सुहाने गाते हैं,
करे पुकार ह्रदय ये मेरा
मिल जाऊँ चाल मतवाली में।
आरती है आजान कहीं
स्वर पड़ते मधुर कानों में,
सिखा रहा हो दूर अंधेरा
जग की इस उजियाली में।
कष्ट हो या हो संशय कोई
या भटके मन कहीं राहों में,
प्रसन्नता से प्रयास तू करना
हर हल है सोच निराली में।
कोहरे की चादर ओढ़ी सुबह
निकली सूरज की लाली में।
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धन्यवाद।
6 comments
bahut sunder kavita.kya mai es kavita ko apke nam se facebook me le sakta hu. anumati denge to mujhe khushi hogi.dr r k sonawane
Hello RK Sonawane ji,
Ji aap facebook pe jarur share kar skte hai, lekin hame credit jarur de, bas hamare blog ka name aur is post ka link sath me jarur dale. Thanks
Nice Nice
Thanks Gaurav ji….
bhot ache
Thanks Simmi ji.