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कभी संसार में बस सत्य ही विराजमान था और आज के समय में झूठ का चारों और बहुत विस्तार हो चुका है। जहाँ पहले के समय में झूठ बोलना पाप करने के बराबर समझा जाता था वहीं आज हर इन्सान अपने स्वार्थ के लिए छोटी-छोटी बातों पर भी झूठ बोलने लगा है। न्यायालय जो न्याय करने के लये बने होते हैं वो स्वयं झूठ का शिकार हो रहे हैं। सच की राह भले ही काँटों भरी हो लेकिन सत्य के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति इतिहास रच देता है। इतिहास में जब भी कभी कहीं झूठ और सच की जंग हुयी हैतो उसमें विजय हमेशा सत्य की ही होती आई है। आइये पढ़ते हैं उसी सत्य को समर्पित दोहे “ सत्य पर दोहे ”
सत्य पर दोहे
1.
मुख में मीठे बोल हैं,हृदय कपट का भाव ।
मानव में अब है नहीं, सच सुनने का चाव ।।
2.
न्यायलय में लग रहा, सच्चाई का मोल ।
जैसा-जैसा दाम है, वैसे-वैसे बोल ।।
3.
स्वांग रचाता है वही, जिसके मन में चोर ।
सत्य मौन रहता सदा, झूठ मचाता शोर ।।
4.
सत्य डगर कंटक भरी, चलता जो इन्सान ।
जग में अपने कर्म से, बनता वही महान ।।
5.
दुविधाओं को देखकर, होना नहीं हताश ।
पाप तिमिर हो दूर जब, फैले सत्य प्रकाश ।।
6.
सत्य न विचलित हो कभी, सत्य न सकता हार ।
मिटे पाप का मूल भी, करे सत्य जब वार ।।
7.
झूठ न फलता है कभी, होता इसका अंत ।
मरते हैं मानव यहाँ, सत्य रहे जीवंत ।।
“ सत्य पर दोहे ” आपको कैसे लगे? कमेंट बॉक्स के जरिये हमें जरूर बताएं।
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धन्यवाद।
3 comments
Agar koyi ase paristhiti aaajaya jaha ghut sabhi bol ka Bach ja raha hai kya huma waha par jhut bol ka sabhi ka jasa hi waha se bacha ka nikal jana chahiye
Main bhi anjane me jhooth bolne ka shikar ho chuka hu or satya se darkar bhag raha hu please meri madad kare!?
अंकुश जी आपने जो भी झूठ बोला है उसे स्वीकार कर सच बोल दीजिये। उसका जो भी परिणाम होगा वो कुछ दिनों के लिए ही होगा। लेकिन झूठ हो सकता है आपको सारी उम्र परेशान करे। बस मन को ये समझा लीजिये सच आपको थोड़ी तकलीफ देगा लेकिन झूठ बहुत ज्यादा।