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सत्य की विजय कविता :- वीर रस की एक प्रेरणादायक कविता | Satya Ki Vijay Kavita


सत्य की विजय कविता – जिंदगी में चुनौतियाँ तो आती रहती है। इन्सान वही है जो इन चुनौतियों का डट कर सामना करे। दुखों का सामना तो स्वयं भगवन को भी करना पड़ता है। हम तो मात्र साधारण से इन्सान हैं। संघर्ष कितना भी बड़ा हो अंत में सफलता मिलती ही मिलती है। बस हमें संयम से आगे बढ़ते रहना चाहिए। विजय सदा सत्य की होती है। प्रस्तुत है इसी बात की प्रेरणा देती कविता सत्य की विजय कविता :-

सत्य की विजय कविता

सत्य की विजय

सत्य की विजय सदा
असत्य की हार हो,
न भय रहे तनिक सा भी
साहस हृदय के द्वार हो
सत्य की विजय सदा
असत्य की हार हो।

जीवन में नित ही आयेंगी
चुनौतियाँ चुनौतियाँ
संघर्ष में न होती हैं
कटौतियां कटौतियां,
मंजिल समीप आती है
प्रयास में जो धार हो
सत्य की विजय सदा
असत्य की हार हो।

कट गया है शीश पर
ये शीश है झुका नहीं
राही उसी का नाम है
जो राह में रुका नहीं,
एक दिन प्रकाश होता है
कितना भी अंधकार हो
सत्य की विजय सदा
असत्य की हार हो।

सच्चाई साथ में रहे
कैसा भी अपना अंत हो
मानव वही है जिसमें
दया भावना ज्वलंत हो,
बुराई हो समाप्त जब
अच्छाई का पसार हो
सत्य की विजय सदा
असत्य की हार हो।

श्री राम या श्री कृष्ण हो
दोनों ने ही हैं दुःख सहे
स्वीकार कर परिस्थिति
आगे वो बढ़ते रहे,
था लक्ष्य उनका एक ही
पापियों का बस संहार हो
सत्य की विजय सदा
असत्य की हार हो।

तेरा ये भविष्य है
तेरे ही तो हाथ में
त्याग व्यर्थ सोचना
अपने कर्म रख तू साथ में,
जो आज है वो कल न हो
समय की ये पुकार हो
सत्य की विजय सदा
असत्य की हार हो।

न भय रहे तनिक सा भी
साहस हृदय के द्वार हो
सत्य की विजय सदा
असत्य की हार हो।

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Vir Ras Ki Kavita In Hindi | Veer Ras Poem In Hindi | वीर रस की प्रेरणादायक कविता | Satya Ki Vijay

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