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सन्यासी तेरा नाम है क्या? | Sanyasi Tera Naam Hai Kya?

by Sandeep Kumar Singh
2 minutes read

अकसर आजकल देखा जाता है या हम इतिहास उठा कर पढ़ें तो पते हैं कि कई लोग  अपना घरबार छोड़ कर सन्यासी बन कर भगवान की खोज में घर से दूर चले जाते हैं। ऐसे सन्यासियों से प्रश्न करने के लिए मैंने कुछ शब्दों को बाँध कर इस कविता की रचना की है। अगर किसी को पूरी कविता पढ़ कर और इसके तथ्यों को देख कर कोई आपत्ति होती है तो सम्पूर्ण विवरण के साथ हमें जरूर बताएं।

सन्यासी तेरा नाम है क्या?

सन्यासी तेरा नाम है क्या?

सन्यासी तेरा नाम है क्या?
पता, ठौर और ग्राम है क्या?
क्यों राह ढूंढता तू सच्चे
जब रास्ता देखें पत्नी बच्चे,
ऐसा भी अब काम है क्या?
किसी रब का मिला पैगाम है क्या?
सन्यासी तेरा नाम है क्या?
पता, ठौर और ग्राम है क्या?

सब छोड़ चला किस आसरे तू
अब कहाँ करेगा वास रे तू,
परिवार है भूखा बिलख रहा
क्यों इनका करे विनाश रे तू,
क्या गलती इन मासूमों की
इन पर बता इल्जाम है क्या?
सन्यासी तेरा नाम है क्या?
पता, ठौर और ग्राम है क्या?

ऐसा पाप कमाकर तुझको
पुण्य कहाँ मिल जाएंगे,
तेरी बाँहों में जो सुत खेले
अब बाप वो किसे बुलाएंगे,
न छोड़ेंगे इक पल तुझको
जो पता चले तेरे अरमान हैं क्या?
सन्यासी तेरा नाम है क्या?
पता, ठौर और ग्राम है क्या?

करवा चौथ का व्रत जो रखती
हर पल रहती राह तेरा तकती,
ब्याह के लाया था तू जिसको
बिन तेरे वह रह नहीं सकती,
लगता है तू भूल गया
बिन तेरे उसकी शान है क्या?
सन्यासी तेरा नाम है क्या?
पता, ठौर और ग्राम है क्या?

कंधों पे बिठा जिसने तुझको
कितने ही मेले घुमाये थे,
तेरे उलझे जीवन के न जाने
कितने ही प्रश्न सुलझाये थे,
आज जो कंधा बनना है उसका,
तो सोचता है पहचान है क्या?
सन्यासी तेरा नाम है क्या?
पता, ठौर और ग्राम है क्या?

जिससे संसार ये उन्नत है
पैरों में जिसके जन्नत है,
हर पल साथ रहे वो सबके
ऐसी जब सबकी मन्नत है,
छोड़ के दुःख में उस माँ को
कभी मिले भगवान हैं क्या?
सन्यासी तेरा नाम है क्या?
पता, ठौर और ग्राम है क्या?

जो पाना चाहे प्रभु को तू
निष्ठा से हर काम को कर,
झोंक दे ताकत सेवा में
हर कार्य को तू निष्काम हो कर,
कण-कण में बसता है वो तो
इस बात से तू अनजान है क्या?
सन्यासी तेरा नाम है क्या?
पता, ठौर और ग्राम है क्या?

ग्राम – गाँव, Village, सुत – बेटा, Son

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4 comments

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pandit akhilesh shukla मई 3, 2020 - 1:47 अपराह्न

बहुत ही सुन्दर कविता है आपकी । मित्र आपने शब्दों और भावों का बहुत अच्छे तरीके समन्वय किया है आपकी इस मेहनत के लिए साधूवाद आपकों ।
मेरी कविता सन्यासी देखकर एक बार मार्गदर्शन अवश्य करें – kuchhadhooribaate.blogspot.com

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 4, 2020 - 3:56 अपराह्न

बहुत अच्छा लिखा है आपने भी अखिलेश जी…..इसी तरह हिंदी भाषा की सेवा करते रहें

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Surya मई 18, 2019 - 3:10 अपराह्न

Bakwas kavita,
Sanyas pr Kavita krne se phle,sanyas ko samajh to lo.
Or ha; tukbandi or Kavita me bahut fark hota he,jo tumne kiya ise tukbandi kahte he

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 18, 2019 - 7:37 अपराह्न

धन्यवाद सूर्या जी, जीवन में हर व्यक्ति हर विषय को अपने नजरिये से देखता है। ये जरूरी तो नहीं कि जो आप सोचें वही सारी दुनिया सोचे। रही तुकबंदी और कविता की तो बेहतर होता अगर आप कविता की परिभाषा बता देते। क्योंकि आगे एक आम इंसान की नजर से देखा जाए तो भावों को तुकबंदी से व्यक्त करना भी कविता ही होती है।

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