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रिश्ते, जो हमें एक डोर की तरह आपस में बाँध कर रखते हैं। रिश्ते जो हमारे अन्दर जज़्बात पैदा करते हैं। एक परिवार बनाते हैं। जो हमारी जिंदगी को बेहतर बनाते हैं और आगे बढ़ने में सहायता करते हैं। पर शायद आज रिश्तों के मायने कुछ बदलते जा रहे हैं। इसी संदर्भ में रिश्तों की परिभाषा और उन में आते बदलाव पर ये कविता शुभा पाचपोर जी ने हमें भेजी है। तो आइये पढ़ते हैं रिश्ते पर कविता :-
रिश्ते पर कविता
दिलों का दिलों के बीच जुड़ता सुन्दर एहसास
अपनों का अपनों से पनपता दृढ़ विश्वास,
रिश्ते बनते हैं, आंसुओं से…… खून से…….
एक दूसरे के प्रति जज्बातों के जूनून से,
रेशम से मुलायम फूलों के पराग जैसे नाजुक रिश्ते
जीवित रिश्ते….मर्यादित सुमधुर रिश्ते,
सबको सिखाते हैं इंसानियत का पाठ
अपने पराये में कभी नहीं पड़ने देते गांठ,
बिना शर्त समर्पण का ये अनोखा बंधन हैं
भावनाओं-संवेदनाओं का सुन्दर गठबंधन हैं,
रिश्तों की सरिता में बहे प्रेम की धारा
रिश्तों में ही तो समाया है ये जीवन प्यारा,
लाती है.. संयम अपनापन आत्मीयता
इसी से तो कायम है हमारी भारतीयता…,
आधुनिक शैली की बहती आधुनिकता की आंधी
परायी हो रही है जिस से आज अपनी ही माटी,
आज कुछ है तो बस स्वच्छंद रहने की जिजीविषा
मनों में बस चुकी है शर्तों में जीने की मनीषा,
मोहताज हैं आज बूढ़ी आंखें बूढ़े माँ-बाप की……
आज इन्हें जरूरत है अपने परिवार के साथ की,
आज सब है बेबसी लाचारी की जिंदगी जीते
कुछ इस तरह से गूंगे बहरे हो गये ये… रिश्ते।
पढ़िए रिश्तों से संबंधित ये सुन्दर रचनाएं :-
- मतलबी लोग शायरी ( दोहा मुक्तक ) और मतलबी रिश्तों पर स्टेटस
- रिश्तों की अहमियत | टूटते रिश्ते को बचाने की एक हिंदी लघु कहानी
- झूठी दुनिया झूठे लोग- हिंदी कविता
मेरा नाम शुभा पाचपोर है । मैं रायपुर, छत्तीसगढ़ में रहती हूँ। मैं एक गृहणी हूँ। मैंने गृह विज्ञान में परास्नातक (Masters in Home Science) की डिग्री ली है। इसके साथ-साथ मुझे कवितायें लिखने का शौंक है।
इस कविता के बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिस से मुझे आगे लिखने की प्रेरणा और उत्साह मिलता रहे।
धन्यवाद।
2 comments
heart touching
realy dil chu gayi great work