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पढ़ाई की कहानी – पढ़ाई की प्रेरणा देती रफिया खातून की कहानी

by Chandan Bais
6 minutes read

पढ़ाई की कहानीये सच्ची कहानी उस माँ की है जिसने अपने मजबूत इरादों और पढ़ाई की प्रेरणा के आगे दुनिया झुका दी। रफिया खातून छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रहने वाली एक सामान्य महिला है। जो सिलाई-कढ़ाई कर के घर चलाती है। रफिया खातून की मजबूत इरादों की कहानी उन लोगो के लिए प्रेरणादायी है, जो कुछ करना तो चाहते है, पर रास्ते में आने वाले कठिनाइयों से घबरा के पहले ही हार मान जाते है। आइये जानते है रफिया खातून के इस सफ़र के बारे में ” पढ़ाई की कहानी ” में।

पढ़ाई की कहानी

पढ़ाई की कहानी

अपने बेटी के साथ स्कूल से बाहर आती रफिया खातून, img source

शादी से पहले रफिया के घर में पढाई का माहोल न होने के कारण उसने कभी स्कूल नही गई थी। और ना ही पढाई की थी। उसकी शादी भी जल्दी ही कर दी गई। शादी के बाद वो घर ही समभाला करती थी। रफिया के दो बच्चे हुए, बेटी शाहीन और बेटा आसिफ। दोनों स्कूल जाने लगे। जब बच्चे रफिया से होमवर्क में कुछ पूछते थे तब उसे अहसास होता था, की शादी से पहले पढाई ना कर के बड़ी गलती की। उस समय वो अफ़सोस करने के अलावा कुछ नही कर सकती थी।

जब बच्चे थोड़े बड़े हुए तो रफिया ने सोच लिया वो अपने बच्चो से पढ़ना सीखेगी। जब उन्होंने ने अपने बच्चो से पढने की बात की, तो बच्चो ने उनका थोड़ा मजाक तो उड़ाया पर वो लोग राजी हुए। और पढाई में अपने माँ की मदद करने लगे। रफिया के दोनों बच्चे रायपुर की माँ बंजारी गुरुकुल विद्यालय में पढ़ते है। एक बार ईद में गुरुकुल संचालक हरीश जोशी उनके घर आये। जब उनको रफिया की पढाई की बात पता चला तो उन्होंने उसका हौसल बढाया और उन्हें ओपन स्कूल से 10वी का फार्म भरने को कहा।

अपने बच्चो और घर वालो के मदद से रफिया ने 10वी का फार्म भर दिया। कुछ दिनों में परीक्षा भी हो गया। जब रिजल्ट आया तो उतने अच्छे अंक नही आये, पर पास हो गई। फिर गुरुकुल  के संचालक हरीश जोशी ने उन्हें स्कूल बुलाकर 11वी में रेगुलर में दाखीला दे दिया। उनको और प्रोत्साहित करने के लिए उनके और उनके बच्चो की फीस भी माफ़ कर दिया।  अब रफिया अपने बच्चो के साथ उन्ही के स्कूल में पढने लगी।  थोड़े दिन उन्हें असहज जरूर महसूस हुआ पर धीरे धीरे सब सामान्य हो गया।  उन्होने 11वी की परीक्षा भी पास करली।



अबतक तो सब सामान्य चल रहा था। असली समस्या तब शुरू हुआ जब वो 11वी पास कर के 12वी में गई। यही उसके इरादों के इन्तेहाँ का समय था। शिक्षा मंडल बोर्ड में नियमो के अनुसार 12वी में पढाई करने और परीक्षा दिलाने की अधिकतम आयु 20 वर्ष होता है। जबकि रफिया 30 की थी।

पर रफिया ने हार नही मानी। उन्होंने कई आवेदन दिए माध्यमिक शिक्षा मंडल के कई बार चक्कर लगाये। भरपूर कोशिश की। स्कूल ने भी रफिया का साथ दिया। पत्र के ऊपर पत्र लिखे गये, फाइलें खुली। अंत में बोर्ड को झुकना पढ़ा। रफिया की मजबूत इरादों और पढ़ने की इच्छा के लिए उन्होंने अपने नियम बदले और रफिया को 12वी में पढाई करने की इजाजत दे दी गई।

रफिया खातून जी की यहा तक का सफ़र आसान नही रहा। उनका ये सफ़र समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। रफिया जी की इस संघर्ष के लिए हम उन्हें शुभकामनाये देते है। और कामना करते है की वो अपने लक्ष्य को पाने में सफल रहे। वो लेखक बनना चाहती है। वो कहती है की ‘अगर पास हो गई तो आगे और पढाई करुँगी। और नौकरी करने का मन है, ताकि अपने बच्चो को और अच्छे से पढ़ा सकू।’

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धन्यवाद।

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4 comments

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Rafia khatoon मई 10, 2022 - 6:49 अपराह्न

Ur a inspiration for everyone mam best of luck for ur bright future. …. ilm ki koi Umra Nahin Hoti aur ilm Kabhi Buddha Nahin Hota Jitna Hasil karo utna kam hai ilm Allah aapko Kamyab kare.my name also rafia khatoon I am from hyderabad Telangana.

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MD IMRAN जनवरी 16, 2018 - 3:24 अपराह्न

VERY GOOD RAFIYA KHATUN

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HindIndia नवम्बर 6, 2016 - 3:37 अपराह्न

बहुत ही उम्दा …. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति …. Thanks for sharing this!! :) :)

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Awara Lucky नवम्बर 6, 2016 - 7:12 अपराह्न

ऐसे लोगो की कहानियाँ शेयर करने की ही काबिल होती है..!Thanks for your feedback

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