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एक प्रेमी के हृदय की तड़प को शब्दों में व्यक्त करती कविता ‘ प्रेम विरह कविता ‘
प्रेम विरह कविता
तड़पने लगा हूँ खुद में मैं
निकलने लगी चिंगारी है।
फिर तुम्हारे दर्द से आज
हृदय में छायी खुमारी है।।
प्यार किया है मैंने तुमसे
अपने जीवन से भी ज्यादा
बना अपना फिर छोड़ा मुझे
कर दी मुझसे गद्दारी है,
तोड़ दिया है नाता फिर भी
क्यों तू मेरी लाचारी है।
घटा काली जुल्फ तुम्हारी
मुझे है डसती हर दिन रात।
प्यार आज भी बरसाती है
कही तुम्हारी हर इक बात।
चंचल सा प्यार भरा यौवन
अल्हड़ सा तेरा भोलापन
बिछड़ा तुमसे हुआ अकेला
गिरे जैसे डाली से पात।
प्यार जताया जो भी मुझसे
ये दिल उसका आभारी है।
तड़पने लगा हूँ खुद में मैं
निकलने लगी चिंगारी है।।
सावन के मौसम में अब तो
मै सूखा खुद को पाता हूँ।
भीड़ भरी इस दुनियाँ में भी
तन्हा सा फिर हो जाता हूँ।
भीगता हूँ बारिशों में अब
मै अपने अश्क छुपाने को
दर्द मुझे अपने लगते हैं
मैं उनका साथ निभाता हूँ।
किया भरोसा तुम पर मैंने
क्या ये भी भूल हमारी है।
तड़पने लगा हूँ खुद में मैं
निकलने लगी चिंगारी है।।
जबसे मै तुमसे दूर हुआ
इक पल भी चैन न पाया है।
भंवर में यादों के उलझा
न मुझको कुछ भी भाया है।
जिनमें मेरा प्रतिबिम्ब दिखे
ढूँढा करें हम ऐसे नैन
नाकाम कोशिशें कर हारा
दिल तुमको भूल न पाया है।
आँखे खोलूँ या बंद करूँ
तुम्हारी सूरत प्यारी है।।
तड़पने लगा हूँ खुद में मैं
निकलने लगी चिंगारी है।।
चाहा न कभी मैंने ऐसा
कि तुमसे दूर मैं हो जाऊं।
चाहत मुझको बस इतनी थी
साथ तुम्हारा सदा पाऊं।
भरकर तुमको मैं बाहों में
खुशी से जीना चाहता था
पर किस्मत को मंजूर न था
अर्द्धांगिनी तुम्हें बनाऊं।
जीना है मुझको अब तुझ बिन
अब यही मेरी खुद्दारी है ।।
तड़पने लगा हूँ खुद में मैं
निकलने लगी चिंगारी है।।
पढ़िए प्रेम को समर्पित यह कविताएँ :-
- अब वो दौर क्यों नहीं आता | बीते लम्हों की याद में कविता
- काश तुम समझ पाती | अधूरे प्यार की कविता
- टूटे दिल की कविता | गजल मेरी है जल रही | हिन्दी कविता दर्द भरी
- प्रेम पर कविता ‘लम्हा-लम्हा मेरा दिल’
मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
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2 comments
सतीश जी यहाँ चोर बहुत है, हमारी रचनाएँ चुरा के लोग दुसरे ब्लॉग में सोशल मीडिया में अपने नाम से डालते है इसलिए कॉपी का आप्शन बंद कर दिया गया है, आप इस पोस्ट के लिंक को शेयर कर सकते है जैसा बाकी सब करते है
आप के सभी रचना शानदार और उम्मदा है।बधाई,लेकिन हम लोगो का निवेदन है कि कॉपी करने का सुविधा प्रदान करे ताकि अन्य लोग भी आप के रचना से बौद्धिक आनंद ले सके।उम्मीद हम आप अपने पाठकों को यह खुशी देंगे।सधन्यवाद????