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‘जीवन एक फूल है तो प्रेम उसकी खुशबू। प्रेम एक कोमल अनुभूति है जो मन के सभी विकारों को दूर कर उसे निर्मल बना देती है। निर्मल मन में ही ईश्वर निवास करता है, इसीलिए प्रेम को ईश्वर कहा गया है। संत कबीर ने भी कहा है “ढाई आखर प्रेम के, पढ़े सो पंडित होय।” प्रेम के बिना जीवन नीरस और निस्सार है। आइये इसी सन्दर्भ में पढ़ते हैं प्रेम पर हिंदी कविता :-
प्रेम पर हिंदी कविता
तप्त मरु में
झोंका हवा का
शीत का आभास देता
सब कुछ
सुहाना कर गया,
भर गया उल्लास से मन
आस का पंछी उड़ा तो
पात पीला झर गया।
सूने नभ में
एक बादल
कर गया आ
दूर सारी रिक्तता,
नेह की
दो बूँद बरसी
मिट गई प्यासी धरा की
शुष्कता की तिक्तता।
प्रेम का
बन्धन अनूठा
एक झीना आवरण,
ओढ़ जिसको
सँवर जाता
क्षणिक जीवन का
हर इक क्षण।
प्रेम का
यह फूल तो था
आज प्रातः ही खिला,
शाम को ही
क्यों अरे यह
शाख पर मुरझा मिला।
फूल का
जीवन लघु है
किन्तु सौरभ है अनन्त,
कर गया
देखो सुवासित
पल में
सारे दिग्-दिगन्त।
प्रेम है
धरती का खग जो
भरता नभ को पाँख में,
जी रहा
अनजान कल से
स्वप्न भरकर आँख में।
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