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जीवन में पिता की बहुत अहमियत होती है। पिता जो हमें जीवन जीने की कला सिखाता है। हमारे जीवन में युवावस्था में एक ऐसा समय आता है जब हम में से कई लोगों को लगता है कि पिता हमें रोकते-टोकते रहते हैं। उस समय हमें अपने पिता का वो व्यवहार बहुत बुरा लगता है। लेकिन जैसे-जैसे जीवन की गाड़ी आगे बढ़ती है हमें यह अहसास होता जाता है कि पिता हर बात में सही थे। लेकिन कई बार तब तक बहुत देर हो हो जाती है। आइये पढ़ते हैं उन्हीं पिता को समर्पित यह दोहा संग्रह “ पिता पर दोहे “ :-
पिता पर दोहे
1.
जादूगर ऐसे पिता, सपनों को दें जान ।
स्वयं रूप भगवान का, जिसकी हम संतान ।।
2.
जीवन की हर राह पर, चलना हो आसान ।
अनुभव पितु से लीजिये, और बढ़ाओ ज्ञान ।।
3.
हमको देते छाँव है, स्वयं झेलते धूप ।
जीवन में संतान की, होते पिता अनूप ।।
4.
अभिलाषा बस एक है, सुखी रहे परिवार ।
अपना सुख सब त्यागते, बांटे सबको प्यार ।।
5.
हर इच्छा पूरी करें, देखे ना दिन रात ।
सबके जीवन में पिता, ईश्वर की सौगात ।।
6.
काँधे पर हमको बिठा, करवाते थे सैर ।
कभी न थकते थे पिता, बढ़ते रहते पैर ।।
7.
गिरने पर थे थामते, होते सदा सहाय ।
करते नहीं समर्थ जो, हम होते निरुपाय ।।
8.
पितु ही कुनबा पालते, होते नहीं हताश ।
फर्ज निभाने से कभी, लिए नहीं अवकाश ।।
इस दोहा संग्रह का विडियो देखने के लिए नीचे क्लिक करें :-
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धन्यवाद।