सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है
पर्यावरण पर दोहे – पर्यावरण से सम्बन्धित इन दोहों में मनुष्य के द्वारा प्रकृति के साथ की जा रही अत्यधिक छेड़छाड़ पर चिंता व्यक्त की गई है। यदि अब भी हमने प्रकृति का अन्धाधुन्ध दोहन नहीं रोका तो आने वाले समय में हमें विनाश के भयावह दृश्य देखने पड़ेंगे। आज पर्यावरण – प्रदूषण के कारण मानव का जीवन संकट में पड़ गया है, अतः हमें पर्यावरण का संरक्षण कर धरती के समस्त प्राणियों को बचाने की सोचना चाहिए।
पर्यावरण पर दोहे
बसा रहे हैं बस्तियाँ, जंगल घने उजाड़।
जानबूझ पर्यावरण, हम ही रहे बिगाड़।।
धरती को पोला किया, खनिज निकाल – निकाल।
जिस पर हम बैठे हुए, काट रहे वह डाल।।
उद्योगों की चिमनियाँ, धुँआ उगल दिन-रात।
शुद्ध हवा पर कर रहीं, जमकर के आघात।।
बहते जल को रोककर, बनते उँचे बांध।
मर जाती इससे नदी, देकर हमें सड़ांध।।
खोदें नहीं पहाड़ को, काटें नहीं सुरंग।
होता इससे चेहरा, कुदरत का बदरंग।।
पानी पर्वत वायु वन, पशु-पक्षी की जान।
इन्हें बचाएँ तो बचे, धरती पर इंसान।।
अगर हादसों से नहीं, लेते हैं हम सीख।
बर्बादी के दृश्य ही, हमें पड़ेंगे दीख।।
” पर्यावरण पर दोहे ” ( Paryavaran Par Dohe ) आपको कैसे लगे? अपने विचार हम तक कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
पढ़िए पर्यावरण दिवस को समर्पित यह बेहतरीन रचनाएं :-
- पर्यावरण संरक्षण बनाम मानव संरक्षण | पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित करता लेख
- पर्यावरण प्रदूषण और हमारी यज्ञ पद्धति | यज्ञ का महत्त्व बताता एक महत्वपूर्ण लेख
- विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध | विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है
- पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ पर कविता – धरती तपती आग सी
- पर्यावरण का महत्व | पर्यावरण संरक्षण पर छोटी कहानी | Paryavaran Ka Mahatva
धन्यवाद।