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परीक्षा पर हास्य कविता :- परीक्षा के दिनों में विद्यार्थियों की हालत पर हास्य कविता

by Sandeep Kumar Singh
4 minutes read


परीक्षा सिर पार आती है तो सबके तोते उड़ जाते हैं। जिन्होंने सारा साल परिश्रम किया होता है उनके लिए परीक्षा कुछ खास तकलीफदेह नहीं होती। जिन्होंने सारा वर्ष कभी किताब ही न उठायी हो उनके लिए तो जैसे कोई मुसीबत बिना बताये आ गयी हो, ऐसा हाल होता है। ऐसे में कोई भगवान को याद करता है तो किसी के सिर पे परीक्षा के कारन सिर दर्द होता रहता है परन्तु फिर भी सभी लोग किताब उठा कर पढ़ते हैं। हाँ, कुछ ऐसे भी होते हैं जो पढ़ने की बस एक्टिंग करते हैं। तो आइये ऐसे ही हालातों का जायजा लेते हुए हम पढ़ते हैं परीक्षा पर हास्य कविता :-

इस कविता का विडियो देखने के लिए नीचे क्लिक करें ( कविता पढ़ने के लिए नीचे जाएँ ) :-

https://youtu.be/wxbz_YPukIc

परीक्षा पर हास्य कविता

परीक्षा पर हास्य कविता

आयी परीक्षा सिर पर देखो
मुंह से निकला हाय राम,
बने किताबी कीड़ा हैं सब
छोड़ के देखो सारे काम।

रिश्तेदारों को है चिंता
हमसे ज्यादा खाय रही
फेल हुयी थी चुन्नी अपनी
बता के बुआ डराय रही,
बस उनके चक्कर में अब तो
जीना अपना हुआ हराम
बने किताबी कीड़ा हैं सब
छोड़ के देखो सारे काम।

नींद न आती रातों को
उल्लू बन-बन जाग रहे
समझ न आये कौन दिशा में
दिमाग के घोड़े भाग रहे,
सिर में ऐसी दर्द छिड़े है
भगा सके न झंडू बाम
बने किताबी कीड़ा हैं सब
छोड़ के देखो सारे काम।

पढ़िए :- किताब के महत्व पर कविता।

जादू टोना, तंतर मंतर,
काम न कुछ भी करता है
इसके जाल में जो भी फंसता
वो जीता न मरता है,
मंदिर मस्जिद जहाँ भी जाओ
आता न मन को आराम
बने किताबी कीड़ा हैं सब
छोड़ के देखो सारे काम।

जाने कौन वो मानव था
हमसे दुश्मनी जिसने निभायी
जाने किस बदले की खातिर
उसने फिर परीक्षा बनायी,
मिल जाए जो हमें कहीं वो
कर दें उसका काम तमाम
बने किताबी कीड़ा हैं सब
छोड़ के देखो सारे काम।

चैन कहाँ मिल रहा किसी को
किसे मिल रहा है विश्राम
भागा दौड़ी मची हुयी है
कुछ बैठे जपते हैं नाम,
बनेगा क्या अब लगी हैं चिंता
सोचें बस यही सुबह और शाम
बने किताबी कीड़ा हैं सब
छोड़ के देखो सारे काम।

पढ़िए अप्रतिम ब्लॉग की ये बेहतरीन हास्य रचनाएं :-

परीक्षा पर हास्य कविता आप सब को कैसे लगी? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर लिख कर बताएं।

धन्यवाद।

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23 comments

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Akshit फ़रवरी 17, 2023 - 8:38 अपराह्न

Best poem

Reply
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Sushant kumar मई 23, 2020 - 11:44 अपराह्न

Bhut kub really funny kabit a

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 27, 2020 - 2:11 अपराह्न

धन्यवाद सुशांत कुमार जी..

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Gourav Patel नवम्बर 25, 2019 - 7:28 अपराह्न

Sir kavita ke ras par bhi kavita banayo. Ham Sab ko ras yaad karne me aacha hoga

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Tasneem नवम्बर 21, 2019 - 6:04 अपराह्न

Who is poet of this poem

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh नवम्बर 21, 2019 - 6:10 अपराह्न

I'm the poet of this poem….

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Vandana aggarwal अक्टूबर 15, 2019 - 4:02 अपराह्न

Nice poem for school students

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Arti sachan सितम्बर 27, 2019 - 6:07 अपराह्न

Bahut accha likhte ho

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Shweta सितम्बर 3, 2019 - 8:39 अपराह्न

Funny poem✨???? ???? ????
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Ujjwal rautela जुलाई 19, 2019 - 5:43 अपराह्न

Nice ???? poem maja hi aa gaya parkar

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Anjali जून 27, 2019 - 1:05 अपराह्न

बहुत ही मज़ेदार

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जुलाई 16, 2019 - 2:56 अपराह्न

धन्यवाद अंजली…

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Mansimran अक्टूबर 22, 2018 - 10:34 अपराह्न

Very very funny

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अक्टूबर 24, 2018 - 10:42 पूर्वाह्न

Thanks Mansimran ji..

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लोकेश इंदौरा अक्टूबर 6, 2018 - 9:00 अपराह्न

अच्छा लिखे हो संदीप जी, हिंदी हास्य कवितायें पढ़ने व लिखने का हमें भी जुनून है जो आप स्वयं देख या पढ़ सकते हैं।

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Disha अक्टूबर 1, 2018 - 6:37 अपराह्न

Mst h bhai,????☺️☺️☺️☺️

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अक्टूबर 1, 2018 - 7:37 अपराह्न

Thanks…

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Ayush मई 15, 2018 - 7:59 अपराह्न

Outstanding spontaneous and hilarious poems.

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 15, 2018 - 9:39 अपराह्न

Thanks Ayush Bro….

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RN kaushal अप्रैल 5, 2018 - 6:56 अपराह्न

मुझे अच्छा लगा nice poem

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अप्रैल 11, 2018 - 9:37 अपराह्न

धन्यवाद RN kaushal ji…

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Archana saxena फ़रवरी 22, 2018 - 11:01 अपराह्न

सिर में ऐसी दर्द छिड़े है
भगा सके न झंडू बाम,bahut badhia likha he sandeepji.school ke din yaad aa gaye.

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh फ़रवरी 24, 2018 - 1:53 अपराह्न

धन्यवाद अर्चना जी।

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