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पंचतंत्र की कहानी :- शेरनी और सियार के बच्चे की कहानी | पंचतंत्र की कहानियां भाग 3

by Sandeep Kumar Singh
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इंसान के स्वाभाव में उसके माँ-बाप के गुण जरूर आ जाते हैं। उसका पालन-पोषण जैसा भी हो उसके स्वाभाव में कभी न कभी उसके असली गुण-दोष झलक ही जाते हैं। यही शिक्षा देती है यह ” पंचतंत्र की कहानी ” :-

पंचतंत्र की कहानी

पंचतंत्र की कहानी

एक जंगल में शेर और शेरनी रहते थे। शेरनी ने दो बच्चों को जन्म दिया। उस समय शेर शिकार कर के शेरनी के लिए भोजन लेकर आया करता था।



एक दिन शेर को कोई भी शिकार नही मिला। भोजन की तलाश में सुबह से शाम हो गई। थक कर और निराश होकर जब शेर अपने घर की ओर जाने लगा तब रास्ते में उसे एक सियार का बच्चा मिला। उसने उस बच्चे को मारा नहीं बल्कि वैसे ही शेरनी के पास ले गया। शेर को आया देख कर शेरनी ने पूछा,

“आज आप मेरे खाने के लिए क्या लाये हैं?”

शेर ने उत्तर दिया,

“आज जंगल में खाने के लिए कुछ नहीं मिला। बस यह एक सियार का बच्चा मिला है। इसे देख कर इस पर मुझे तरस आ गया। इसे देख कर मुझे अपने बच्चों की याद आ गयी। इसलिए मैंने इसे नहीं मारा। तुम ऐसा करो आज यह सियार का बच्चा खा लो कल मैं कोई और शिकार लेकर आऊंगा।”

“स्वामी जब आपने इसमें अपने बच्चे की छवि देख इसे नहीं मारा तो मई इसे कैसे मार सकती हूँ। आज से इसे मैं गोद लेती हूँ और इसका पालन-पोषण भी अपने बच्चों की तरह ही करुँगी।“

उस दिन के बाद शेरनी ने अपने और सियार के बच्चों में कोई भेद न किया। तीनों को एक जैसी नजर से देखा और एक साथ उन्हें पाला।

इसी तरह दिन बीतते रहे और एक दिन जंगल से हाथी गुजर रहा था। उसे देख शेर के बच्चे उस पर हमला करने के लिए उसकी तरफ दौड़े। तभी सियार के बच्चे ने उन्हें रोक दिया और कहा,

“रुको! यह हाथी है। कोई छोटा-मोटा जानवर नहीं। यह हमारा दुश्मन है और हमसे ज्यादा ताकतवर भी।”

इतना कह कर सियार का बच्चा घर की तरफ भाग गया। सियार को भागते देख शेर के बच्चों का भी आत्मविश्वास कम हो गया और वे भी घर चले गए।

घर पहुँच कर शेर के बच्चों ने सियार के बच्चे का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया कि वह एक हाथी से डर गया। यह अपमान सियार के बच्चे से सहन न हुआ। वह गुस्से से लाल हो गया और उसने शेर के बच्चों को अपशब्द कहे। यह सुन शेरनी सियार के बच्चे को एक तरफ ले गयी और उस से कहा कि उसे ऐसा नहीं बोलना चाहिए।

यह सुन कर सियार के बच्चे को और भी गुस्सा आ गया। वह कहने लगा,

“क्यों? क्या मैं उनसे किसी भी चीज में कम हूँ। जो वो मेरा मजाक उड़ा रहे हैं। अब मैं इन दोनों को मार दूंगा।”

इतना सुन कर शेरनी शांत स्वाभाव से बोली,

“तुम इन्हें क्या मरोगे अगर इन्हें सच्चाई पता चली तो ये तुम्हें मार देंगे। तुम मेरे बच्चे नहीं हो। मैंने तुम पर दया कर तुम्हें बचपन में मारा नहीं। तुम्हें अपने बेटों की तरह पाला। ये नहीं जानते हैं कि तुम एक सियार के बच्चे हो। इसलिए अब यहाँ से चले जाओ और अपने लोगों के साथ रहो।”

इतना सुनते ही सियार बुरी तरह घबरा गया। उसके हाथ पाँव फूल गए। इस से पहले कोई कुछ और कहता वह वहां से चुपचाप भाग गया। और जाकर अपने लोगों से मिल गया।



” पंचतंत्र की कहानी ” आपको कैसी लगी? अपने विचार कमेंटबॉक्स में जरूर लिखें।

धन्यवाद।

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