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नशे पर कविता – ये मेरे देश को क्या हो रहा है? | Nashe Par Kavita


आजकल नशे की लत देश के नौजवानों को बर्बाद करती जा रही है। इसके कारण उनके अंदर की नैतिकता भी लुप्त हो रही है। कितने ही परिवार के चिराग नशे की आग में जल कर भस्म हो रहे हैं। इसे जड़ से ख़त्म करने के लिए हमें खुद ही कोई कदम उठाना होगा। नौजवानों को ये समझाना होगा की नशा उन्हें और देश को एक दीमक की तरह खा रहा है। इसी विषय पर हम आपके लिए एक कविता लेकर आये हैं :- नशे पर कविता – ये मेरे देश को क्या हो रहा है?


नशे पर कविता – ये मेरे देश को क्या हो रहा है?

नशे पर कविता - ये मेरे देश को क्या हो रहा है?

छा गया है मातम और वक़्त रो रहा है,
अरे देखिये जनाब, ये मेरे देश को क्या हो रहा है?

जम चुका है खून रगों में आज के नौजवानों के
मिल जाती है गिरी हुई जवानी, आजकल मयखानों में,
परिवार जाग रहा है राह तकते हुए
आने वाला कहीं सड़कों पे गिरा सो रहा है,
अरे देखिये जनाब, ये मेरे देश को क्या हो रहा है?

गिर गया है ज़मीर शानें ऊँची हैं
कल का क्या होगा ये बातें किसने सोचीं हैं,
चरस है, गांजा है, है भांग और हैरोइन यहाँ
यही है कारण जो देश को डूब रहा है,
अरे देखिये जनाब, ये मेरे देश को क्या हो रहा है?

विधवा हो रही हैं सुहागिनें, राखी पकड़ रोती हैं बहनें
माँ बाप का सहारा बनना था जिसको, वही बोझ बनता रहा है,
जल रहा है नशे की आग में घराने का इकलौता वारिस
बढ़ानी थी शान-ओ-शौकत जिसने वही कुल का नाम मिटा रहा है,
अरे देखिये जनाब, ये मेरे देश को क्या हो रहा है?

सरे आम लूट रहे हैं राह चलते राहगीरों को
निशाना बनाते हैं नशे के सौदागर अकसर अमीरों को,
न दीन, धर्म, ईमान है, टूटते शरीर बिलकुल बेजान हैं
किस पर उठायें उँगली मिलीभगत से ये काम हो रहा है,
अरे देखिये जनाब, ये मेरे देश को क्या हो रहा है?

कदम बढ़ाना होगा कोई जो देश को आगे बढ़ाना है
लक्ष्य यही रहे अपना, नशे को मार भगाना है,
जवानी वापस लानी है देश के नौजवानों की
हँसाना है हर उस शख्स को जो इस दर्द से रो रहा है,
अरे देखिये जनाब, ये मेरे देश को क्या हो रहा है?

यह नशे पर कविता पढ़ के अगर जरा सी बात आपके मन में आया तो कृपया इसे दूसरों तक भी शेयर करें।

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धन्यवाद।

23 Comments

  1. नशा मुक्ति पर शानदार प्रयास.

  2. Bhut Achi kavita hai, Agar koi nasha mukti kendra k bare me kuch bhi janna chahta hai toh ye site jrur dekhe: www.akaldeaddictioncenter.com

  3. संदीप जी, एक मार्गदर्शक और बेहतरीन कविता…….नशाखोरी हमारे समाज बहुत तेजी से बढ़ रही है.इस पर नियंत्रण की जरुरत है.

  4. sir mujhe nashe par ek lekh send karna mujhe apni ngo ki patrika me chapna h, me nasha mukti kendra me job karta hu

    1. राकेश जी सबसे पहले तो धन्यवाद हमारे रचनाओ को पसंद करने के लिए। हमने कुछ कविताएँ, एक-दो कहानी और स्लोगन डाले है इस ब्लॉग में नशा मुक्ति से सम्बंधित। अगर आप चाहे तो इनमे से किसी भी पोस्ट को हमारे ब्लॉग के लिंक के साथ आप अपने पत्रिका में छाप सकते है। अगर इनके अलावा कुछ और चाहिए आपको तो आप हमें [email protected] में मेल करके या हमारे फेसबुक पेज में हमसे संपर्क करके हमें बता सकते है। हमें ख़ुशी होगी आपकी मदद करके।

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