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आप पढ़ रहे है, मजेदार हिंदी व्यंग कहानी: नारद जी का भारत भ्रमण भर १
नारद जी का भारत भ्रमण
इन्द्रदेव भारत वालो के इतने स्लो इन्टरनेट स्पीड से परेशान थे। कभी-कभी तो देवताओ के द्वारा व्हात्सप्प में भेजे गए मेसेज भी एक पहर के बाद मिलता था। जबतक वो किसी को वो मेसेज फारवर्ड करते बाकि सब कर चुके होते थे। ना ही वो सावन एप्प में गाना सुनते हुए धरती पर गर्जन के साथ बारिश करवा पा रहे थे ना hotstar पर कोई शो ही देख पा रहे थे। कही पर भी अपना जलवा नही दिखा पा रहे थे।
कहीं से इन्द्रदेव ने सुना था की आजकल धरती में जिओ नाम की बहुत चर्चा है। बहुत ही सस्ते में 4G वाली हाई स्पीड वो दे देता है। उसने सोचा क्यों ना जिओ सिम चुपके से लेके बाकी देवलोक वासियों के सामने हीरो बना जाये। लेकिन अगर वो सभा छोड़ के धरती जायेंगे तो लोग जान सकते है की, देवराज कहा गये हुए है। इसलिए उसने एक दिन नारदजी को ये काम चुपके से करने को राजी कर ही लिया।
चुकीं नारदजी को पुरे ब्रम्हांड में वीसा और पासपोर्ट की छुट है। वो पुरे ब्रम्हांड में कही भी अपने मर्जी से आ जा सकते है। आपके बेडरूम और बाथरूम में भी। तो नारद जी अपने स्पेसशिप से निकल पड़े धरती की ओर। स्पेसशिप में ही उसने अपना हुलिया धरती के लोगो जैसा बना लिया था। धरती में भारत में नया रायपुर में उसने लैंडिंग किया। और अपने स्पेसशिप को जंगल-सफारी में छिपा दिया। वो फिर अपने शिप से उतर के जंगल-सफारी से बाहर मैन रोड में आ गये।
अब उन्हें रायपुर शहर जाना था। लेकिन बहुत देर तक इन्तेजार करने के बाद भी कोई बस, ऑटो या जीप नही मिला। पास खड़े लोगो के पास जाके उसने पूछा तो पता चला की, नक्सलियों ने एक विशेष जाति के व्यक्ति को मार दिया है। तो कुछ राजनीतिक पार्टियों ने सरकार का विरोध करने के लिए समूचे जनता को तकलीफ देने के लिए पुरे राज्य का परिवहन व्यवस्था बंद करवा दिया है।
नारदजी ने सोचा अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा। वो शक्तिमान की तरह गोल-गोल घूम के जाने के लिए घूमना शुरू किया। लेकिन यहाँ बहुत ज्यादा प्रदूषित पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग और हवा में कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा अधिक होने के कारन उसकी शक्तियाँ क्षीण होने लगा था। जैसे पापमणि के सामने शक्तिमान की शक्तियाँ क्षीण हो जाती है। उसने थोड़ा और जोर लगाया तो गर्मी ज्यादा थी इसलिए चक्कर खाके वही गिर पड़े। थोड़ी देर बाद जब उसकी आँखे खुली तो उसने खुद को एक वाहन में ले जाते हुए पाया। वाहन चल रही थी। उसे थोड़ा असमंजस हुआ। “शायद किसी ने मुझे वहाँ बेहोश पड़े देख के १०८ एम्बुलेंस को बुला लिया होगा। चलो कोई बात नही इस तरह मै रायपुर शहर तो पहुँच जाऊंगा” नारद ने सोचा।
एक कम्पाउण्डर उसे डॉक्टर के पास लेजा रहा था। नारदजी ने उसे बताया की मै ठीक हूँ मुझे कुछ नही हुआ है। लेकिन कम्पाउण्डर मानने को तैयार न थे। फिर पुरे 100 रुपये देने पड़े कम्पाउण्डर को मनवाने के लिए की वो ठीक है। जब वो हॉस्पिटल के गलियारे और हॉस्पिटल परिसर से बाहर आये तो सोचा, नारायण-नारायण हे प्रभु! अबतक तो मै ठीक था। लेकिन अस्पताल की बदबू और गन्दगी से जरुर मै बीमार हो जाता। अच्छा हुआ मै समय रहते वहाँ से निकला आया।
जब वो शहर की सड़क पर चल रहे थे। तो हर कही बड़े-बड़े और रंगीन पोस्टर देख रहे थे। जिनमे VIVO और OPPO लिखे हुए थे। कही-कही तो उनकी छावनी भी बना हुआ था। यहाँ तक की ट्रैफिक पुलिस के लिए छप्पर भी OPPO और VIVO वालो ने बनाये थे। नारद जी ने एक आदमी से पूछा, “क्यों भाई यहाँ चुनाव होने वाले है? और VIVO और OPPO एक दुसरे के प्रतिद्वंदी होंगे?” आदमी पहले तो उसे अजीब से नजरो से देखा फिर हंस पड़ा और बोला, “हाहाहा, मजाक अच्छा करते है भाई साब आप।” और वो आगे बढ़ गया। नारद खड़े हुए सोचते रहा। बड़े अजीब आदमी है भारत भूमि में।
कुछ गली काटने के बाद एक जगह लोगो की भीड़ दिखाई दिया। एक लाइन भी थी। जिसका अंत कहा है ये दिखाई नही दे रहा था। शायद अगली गली में मुड़ा था लाइन। लोग जो आसपास मंडरा रहे थे लाइन में धीरे-धीरे लगते जा रहे थे। नारद जी को इन्द्र ने बताया था की जिओ का आजकल बहुत हल्ला हो रहा है। मारा-मारी चल रहा है। लाइन में लगना पड़ता है। उसे लगा निश्चित ही यहाँ पर जिओ मिल रहा है। उसने बिना कोई क्षण जाया किये लग गए लाइन में। उसने अपने सामने वाले से पूछा “भाई साहब यहाँ जिओ मिलेगा ना।” उस आदमी की हालात थोड़ी नशे में लग रही थी। उसके मुँह से बदबू भी आ रही थी। उसने लड़खड़ाते जुबान से बोला, “अरे मालिक! चाहे जिओ चाहे मरो सब यही से मिलेगा..”
धीरे-धीरे लाइन खिसकते रहा। धुप के कारन गर्मी जरुर था लेकिन नारद जी ने धैर्य बनाये रखा। जब २ घंटे के लाइन में लगने के बाद नजदीक पहुंचा तो पता चला की ये तो ठेके की लाइन है। नारदजी को समझ आ गया था की वो गलत जगह आ गये है। वो वहाँ से निकल गया। चलते हुए बडबडाया “यहाँ तो मदिरे के लिए मारा-मारी मचा हुआ है।
एक गली में चल रहे थे तभी नारदजी की नजर सामने वाले बन्दे के फिसती पतलून पर पड़ा। उसने जल्दी से उस नौजवान के पास गया और बोला, “ऐ भाई आपकी पतलून गिर रही है, संभालिये।” वो नौजवान पीछे मुड के देखा। और नारद को गलियाँ देने लगा ये आजकल की बूढ़े फैशन को क्या जानते ही नही। नारद को बड़ा बुरा लगा।
आखिर बहुत मेहनत और पूछताछ के बाद वो जिओ स्टोर में पहुँच ही गया। पर वहां तो खाली लग रहा था। तो फिर इन्द्रदेव ने क्यों कहा था की मारा-मारी चल रहा है। लेकिन इस बार नारद के चेहरे में हल्की मुस्कान थी। क्योकि वो अब सही जगह में आया था और यहाँ भीड़ भी नही था। जब दुकान वाले ने नारद से आधार कार्ड मांगे तो वो हक्के-बक्के रह गये थे। नारदजी को ज्यादा पैसा देके बात बनाना पड़ा।
जिओ का सिम लेके नारद जी जैसे-तैसे वापस अपने स्पेसशिप के पास पहुंचे। नारद जब अपने स्पेसशिप में चढ़ने के लिए जैसे ही दरवाजा खोलना चाह, उसने देखा किसी ने उसके दरवाजे के पास खरोच के एक दिल का चित्र बना दिया है। और उसके अन्दर लिख दिया था, “Bad Boy Love Papa ki Pari (दोनों का बदला हुआ फेवरिट नाम)।
References:
Image source: scrolldroll
13 comments
Bahut badiya vyangya tha
vary nice sir bahut acha or bahut hi sundar lakh he sir
Dhanywaad Deepak
बहुत रोचक कहानी
धन्यवाद परवेज आलम जी,
JIO की फ्री सीम फ्रि टोक का लाभ लेनेवाले ऐसै दोड रहे थे जैसै की सचमुच आसमान से हलवे मेवे बरस रहे हौँ । अब समझ आ रहा है की JIO ईतना सस्ता भी नहीँ ।
हाँ, लेकिन दुसरो से बेहतर तो है.. खैर अयाझ जी ये कहानी जिओ के बारे में नही बल्कि अलग अलग समस्याओ को दिखाने के लिए था…
So nice
Thank you, Ritu.
It's niceee…
Thank you, Abhishek.
बहुत सुन्दर…..
धन्यवाद सुधा जी…..