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जिंदगी में मुकद्दर ऐसी चीज है जो कई लोग बनाने में विश्वास रखते हैं और जिसे कई लोग अपनी हालत के लिए जिम्मेदार मानते हैं। जो अपना मुकद्दर बना लेते हैं दुनिया उनकी दीवानी हो जाती है। वहीँ मुकद्दर के सँवारने का इंतजार करने वाले हर पल बर्बाद ही रहते हैं। तो आइये पढ़ते हैं इसी मुकद्दर पर शायरी:-
मुकद्दर पर शायरी
1.
जिंदगी में हो अँधेरा तो खुद को भी जलाना पड़ता है
उम्मीद के आसरे हल बंजर में चलाना पड़ता है,
यूँ तो लाखों घूमते हैं दुनिया में होकर के गुमशुदा
पहचान बनानी हो तो अपना मुकद्दर बनाना पड़ता है।
2.
बना ले हिम्मत अपनी या अपना डर बना ले,
तेरे हाथों में है सब, चाहे जैसा मुकद्दर बना ले।
3.
मुसीबतें जिंदगी की जिंदगी पर ही भारी हैं,
बदलेंगे जल्द हालात कि मुकद्दर की मुरम्मत जारी है।
4.
मुझे बर्बाद करने की कोशिशों में
मेरे अपनों का ही हाथ था,
कुछ मेरे कर्मों ने बचाया मुझे
कुछ मेरे मुकद्दर का साथ था।
5.
तेरा आने वाला कल तेरा आज दिखा रहा है,
तेरे ही कर्मों से तेरा मुकद्दर लिखा जा रहा है।
6.
बात मुकद्दर की नहीं, मन में बैठे डर की होती है,
ऐसा क्या है जो आखिर ये इंसा कर नहीं सकता।
7.
किसी और के हाथों में किसी का मुकद्दर नहीं होता
आगे बढ़ने वाले को किसी का डर नहीं होता,
वही बदलते `हैं खुद को और बदलते हैं जमाना
जिनकी जिंदगी में रुकने का जीकर नहीं होता।
8.
मुकद्दर की लिखावट को कौन बदल पाया है,
उतना ही मिला है जीवन में जितना तूने कमाया है।
9.
वो इन्सान हारता नहीं मर जाता है
बुरे हालातों से जो अक्सर डर जाता है,
कोशिशें करता है जो आखिरी दम तक
उसका मुकद्दर खुद-ब-खुद संवर जाता है।
10.
यहाँ जीते हैं कई लोग अपनी ही शर्तों पर
जीना गुलामी में जिनको गंवारा नहीं होता,
कुछ लोग बदलते हैं अपने हौसलों से जिंदगी
हर किसी को मुकद्दर का सहारा नहीं होता।
11.
हाथों की लकीरों में ही नहीं होती सबकी किस्मत यारों
मुकद्दर से लड़ कर भी मुकद्दर बनाना पड़ता है।
12.
क्या बनायेंगे वो अपना मुकद्दर यारों
जिनकी फितरत में कोशिशों की कोई बात ही नहीं।
13.
किसी काम के न होते हैं वो लोग
जो किस्मत का रोना रोते हैं,
खुद ही लिखते हैं जो मुकद्दर अपना
वही चैन से जिंदगी में सोते हैं।
14.
माना की मेरे मुकद्दर में तेरा साथ नहीं
मगर ख्वाबों से कोई चुरा ले तुझे
इतनी किसी की औकात नहीं।
15.
मुकद्दर ने मेरे साथ न जाने कैसा खेल खेला है,
बड़ी हसरतों से सजाया था जिसे, उसी ख्वाब को तोड़ा है।
16.
मुकदर क्या बदला रिश्ते भी बदल गए,
हमसे डरने लगे हैं शायद
खुदा के फ़रिश्ते भी बदल गए।
17.
किसी बात पर आकर जब इन्सान ठन जाता है,
वहीं उसकी जिंदगी और उसका मुकद्दर बन जाता है।
18.
मुकद्दर में क्या लिखा है मुझे ये तो नहीं पता,
मगर बदल न सका इसे तो होगी मेरी खता।
19.
कोशिशों का मिला हुआ फल ही तो है हुजूर
ये मुकद्दर का किस्सा कुछ और तो नहीं।
20.
संवर रहे हैं आज कल हालात मेरे,
लगता है मुकद्दर मेहरबान हो गया।
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धन्यवाद।
2 comments
Saare bahot hi acche hai sir muzhe bahot hi acche lage par inme se koi b copy krke mai nhi le jaaraa bass yaad kiya hai inhe… ????
जी ठीक है अमन जी आप लिख भी सकते हैं लेकिन सिर्फ डायरी में किसी अन्य ब्लॉग पर नहीं….