ज़िन्दगी एक समन्दर – जिंदगी पर कविता
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ज़िन्दगी एक समन्दर की तरह है। जो हमें अलग-अलग कठिनाइयों और समस्याओं रूपी लहरों से डुबोने पर तुली होती है। अगर हम तैरना मतलब की जिंदगी जीने का हुनर नही सीखेंगे तो इस समंदर में डूब जायेंगे। आइये पढ़ते हैं जिंदगी के हालातों से सबक सीखने की बात बताती ये प्रेरणादायक कविता पढ़े :
न सीखा हुनर मैंने तैरने का,
डूबा दिया जो समुंदर ने तो,
बेवजह हमने बेवफा कह दिया।
उम्मीद लहरों से थी कि
साहिल दिला दे मुझे,
ऐसा फँसा था मझधार में मैं
कि मुझे किनारे ना दिखा।
मंडराती रही कश्तियां चारों ओर
मेरे अपनों की तरह,
हालात मेरे उनको
मेरी अदाकारी के नमूने लगे।
छोड़ चुका था हिम्मत रात अंधेरी काली में,
दिखी जो एक किरन उजाले की तो सहारा सा मिला ।
कोशिशें जारी की मैंने
नए दिन को निकलते देख,
हौसला देख मौजों ने भी
साथ दिया मेरा।
किसी तरह पहुंचा जो किनारे पर,
तो किश्ती सवारों से शाबाशी का इनाम मिला।
शुक्रगुजार हूं उस समंदर का
जिसका नाम जिंदगी है,
जीने का सबक हमको बतौर इनाम मिला।
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धन्यवाद।
13 comments
अच्छा लिखा हुआ है। धन्यवाद
bahut sunder kavita …
धन्यवाद कुलदीप सिंह जी।
Nice
Thanks Ramesh Rishav ji..
bahut hi achchi kavitaayen likh rahen hain aap GOD BLESS YOU
धन्यवाद SHYAM NARAYAN DUBEY जी…..
aap ki kavitayen man ko choo leti hai ( bahut hi achchi hai)
धन्यवाद SHYAM NARAYAN DUBEY जी… बस आप जैसे पाठकों कि दुआ और माँ सरस्वती का आशीर्वाद है…और कवितायेँ पढ़ने के लिए इसी तरह उमरे साथ बने रहें..
धन्यवाद..
bhut hi sundr
Thanks Arti Mishra ji…..
very nice
Thanks Arti Mishra ji…..