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इन्सान हर चीज में कुछ न कुछ खोजता रहता है। वो हर चीज का अनुभव करना चाहता है। इसके लिए वो आज-कल रिश्तों को भी नहीं छोड़ता। ऐसे ही एक रिश्ते का अनुभव है ये कविता। जिस में दो प्यार करने वाले कुछ देर के लिए एक दूसरे से दूर जाने का फैसला करते हैं। फिर क्या होता है उनके दरमियान ये बता रहे हैं हरीश चमोली जी ‘ मोहब्बत में दूरियाँ कविता ‘ में :-
मोहब्बत में दूरियाँ कविता
मोहब्बत की आजमाइश में
हमने उनसे दूरियाँ कर ली
बातें इक दूजे से दूर रहने की
हमने अपने दरमियाँ कर ली,
सोचा कुछ वक्त बाद मिलकर
वो फिर से प्यार जताते दिखें
और कैसे जिये इक दूजे बिन
ये किस्सा इक दूजे को बताते दिखें।
हमारा यकीं था उन पर ऐसा
कि वो हमें बस हमारे लगे।
हमारे अकेलेपन के अब
बस वो ही एक सहारे लगे,
हम उनकी यादों में डूबकर
गमगीन कविताएं बनाते दिखे
और वो सुकून से अपना हाथ
किसी और को थमाते दिखे।
उनसे दूरी बंनाने के लिए हम
उनसे अलग इस कदर रहने लगे
लौट आयेंगे वो ये करके भरोसा
सारी दुनिया से बेखबर रहने लगे,
दूरियाँ बढ़ा तन्हाईयों का आलम
हम अपनी आँखों से बहाते दिखे
थामकर किसी और का हाथ
वो हमें अनजान बनाते दिखे।
हमारी मोहब्बत में शायद
न था उन्हें सुकून मिला।
और हम पर हर वक़्त बस
चढ़ा उनका ही जुनून मिला,
सुबह शाम अब हम दिल में
उनके लिये चाहत बढ़ाते दिखे
न जाने किस मोहब्बत की तलाश में
वो दर-दर की ठोकरें खाते दिखे।
बहती हुई आंखों से हम
उनको खत लिखते रहे
उनकी हर बात को हम
अपनी यादों में रखते रहे,
मुझसे पहली मोहब्बत के गीत
जो थे कभी गुनगुनाते दिखे
वो आज हमारी हर याद को
अपने दिल से मिटाते दिखे।
हम रोते रहे उनकी खातिर
और सारी रात तड़पते रहे
कोई न था अब पास अपने
उसके ख्वाब दिल में धड़कते रहे,
कोई न हमको मिला सहारा
हम जाम पर जाम बनाते दिखे
जिसके लिए था खुद को बदला
वो कहीं और दिल लगाते दिखे।
इक अरसे के बाद फिर वो हमें
जिंदगी के इक नए मोड़ पर मिले
आँखों में आंसू थे और
होठों पर थे शिकवे गिले,
पाकर किसी और का साथ
जो थे हमें भुलाते दिखे
देख दुनिया के रंग फिर से
वो हमारा ही साथ निभाते दिखे।
और कैसे जिये इक दूजे बिन
ये किस्सा इक दूजे को बताते दिखे।
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मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
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