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मेरे देश की मिट्टी में कुछ तो ऐसा जरूर है जो हर बार इस धरती पर जन्म लेने को दिल चाहता है। इस देश की मिटटी में समाहित है हमारा गौरवमयी इतिहास, वीरता की गाथाएं और साथ ही सबके हृदय में प्रेम का भाव। ऐसी ही भावना से लिखी गयी है यह ” मातृभूमि पर कविता ” :-
मातृभूमि पर कविता
मातृभूमि की माटी चंदन
आओ तिलक लगायें ।
इस माटी में जन्म मिला
यह सोच के हम इतरायें ।
राम कृष्ण ने जन्म लिया
खेले गौतम गांधी ।
वीर भगत सिंह यहीं थे जन्मे
चढ़ गये हँस कर फाँसी ।
वीरों की पावन धरती को
आओ शीश झुकायें ।
इस माटी में जन्म मिला
यह सोच के हम इतरायें ।
दुर्गा वती यहीं जन्मी थी
झाँसी वाली रानी ।
छुड़ा दिये छक्के दुश्मन के
ऐसी थी मर्दानी ।
जब जब जन्म मिले धरा पे
भारत वतन ही पायें ।
इस माटी में जन्म मिला
यह सोच के हम इतरायें ।
हे देव भूमि हे कर्मभूमि
तुझसे ही सब कुछ पाया ।
खेतों में हरियाली रहती
पेड़ों की छाया ।
सागर चरण पखारता
गीत तेरे माँ गाये ।
इस माटी में जन्म मिला
यह सोच के हम इतरायें ।
मातृभूमि की माटी चंदन
आओ तिलक लगायें ।
इस माटी जन्म मिला
यह सोच के हम इतरायें ।
पढ़िए :- देशभक्ति कविता “हिंदी हैं हम”
यह कविता हमें भेजी है श्रीमती केवरा यदु ” मीरा ” जी ने। जो राजिम (छतीसगढ़) जिला गरियाबंद की रहने वाली हैं। उनकी कुछ प्रकाशित पुस्तकें इस तरह हैं :-
1- 1997 राजीवलोचन भजनांजली
2- 2015 में सुन ले जिया के मोर बात ।
3-2016 देवी गीत भाग 1
4- 2016 देवीगीत भाग 2
5 – 2016 शक्ति चालीसा
6-2016 होली गीत
7-2017 साझा संकलन आपकी ही परछाई।2017
8- 2018 साझा संकलन ( नई उड़ान )
इसके अतिरिक्त इनकी अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें इनकी रचनाओं के लिए लगभग 50 बार सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें वूमन आवाज का सम्मान भी भोपाल से मिल चुका है।
लेखन विधा – गीत, गजल, भजन, सायली- दोहा, छंद, हाइकु पिरामिड-विधा ।
उल्लेखनीय- समाज सेवा बेटियों को प्रशिक्षित करना बचाव हेतु । महिलाओं को न्याय दिलाने हेतु मदद गरीबों की सेवा ।
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धन्यवाद।