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माता पिता पर दोहे का पहला संग्रह – माता पिता के सम्मान व सेवा में समर्पित By संदीप कुमार सिंह

by Sandeep Kumar Singh
2 minutes read

‘ दोहे ‘ एक ऐसा शब्द जिसका नाम सुनते ही मन में कबीरदास और रहीम जी का नाम आ जाता है। उनके दोहे जीवन की सच्चाई को इतनी सरलता से बयां करते हैं इसके बारे में शायद ही कोई सोच सके। उन्हीं के दोहों से प्रेरित होकर मैंने भी कुछ दोहे लिखने की कोशिश की है। माता पिता पर दोहे का यह संग्रह मैंने माता-पिता को समर्पित किया है।

माता पिता पर दोहे

माता पिता पर दोहे

1.
पला पोसा बड़ा किया, कष्ट दिया न कोय,
अपनी तो संतान की चिंता, हर माँ-बाप को होय।
यही जीवन का सार है, यही हैं पालनहार,
आज्ञा में जो रहे इनकी, सब खुशियाँ मिलती तोय।

2.
चाहे तपती धूप हो, चाहे अंधियारी रात,
साथ कभी न छोड़ते, अस माँ-बाप की जात।

3.
माँ तो लोरी देत है, पिता देत हैं डांट,
मिलकर तबहुं रहत है, खाते हैं मिल बांट।

4.
मात-पिता रक्षक हैं मेरे, मात-पिता भगवान,
इनके बिना न रहत है, मानव जीवन आसान।

5.
छलिया यह संसार है, पकड़ छोड़ दे हाथ,
छोड़ते न माँ-बाप हैं, रहें अंत तक साथ।

6.
पिता से ही सुख-संपदा, माँ से है संस्कार,
जिस घर में न ये रहें, वो घर है बेकार।

7.
इश्वर के अस्तित्व पे काहे करे विचार,
घर में ही तो रहत हैं, वेश माँ-बाप का धार।

8.
वाद-विवाद तू छोड़ के, जो नतमस्तक होय,
मान बाप के आशीर्वाद से, सब काम सफल फिर होय।

9.
परवरिश का ही खेल है, जो हुए सौभाग्य से मेल,
माँ-बाप न होते जो जीवन में, जीवन बन जाता जेल।

10.
प्रेम, प्रेम हर कोई करे, अर्थ न जाने कोई,
जो मात-पिता के शरण रहे, वही प्रेममय होय।

11.
सेवा कर के पुण्य कमाइए, माँ-बाप को ख़ुशी फिर होय,
राह खुले जीवन का सदा, संकट रहे न कोय।

12.
दस-दस संतान भी पाल ली, जब तक था माँ-बाप का राज
कर्ज न उतार सके कोई, कर ले कितने भी काज।

13.
जीवन की सच्चाई है, बात नहीं ये आम,
माँ-बाप की सेवा ओ करी, तो हो गए चारों धाम।

14.
श्रद्धा दिल में हो भरी, चरणों में हो शीश
धरती पर माता-पिता, हैं अपने जगदीश

15.
देख लिया संसार मना, मिला एक ही ज्ञान,
भेज दिए माता-पिता, जो न पहुंचे भगवान।

पढ़िए :- पिता पर दोहे | पिता दिवस विशेष

आको यह दोहों का संग्रह कैसा लगा हमें अवश्य बताएं। आपकी प्रतिक्रियाएं ही हमें और लिखने के लिए प्रेरित करती हैं। इसलिए अपने विचार हम तक अवश्य पहुंचाएं। धन्यवाद।

पढ़िए माता और पिता पर शायरी संग्रह और कवितायें :-

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21 comments

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त्रिलोकीनाथमिश्र अक्टूबर 23, 2021 - 11:44 पूर्वाह्न

बहुत सुन्दर दोहे????????

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Ranjeet dubey अगस्त 21, 2021 - 6:35 पूर्वाह्न

Bahut aucha laga

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अगस्त 27, 2021 - 12:42 पूर्वाह्न

धन्यवाद Ranjeet जी।

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Janvi Singh जुलाई 5, 2021 - 7:46 अपराह्न

Maa

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अजीत मिश्रा जून 22, 2020 - 11:43 पूर्वाह्न

सुन्दर रचनाएँ। लगे रहिए। ????

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Prity Dubay मई 2, 2020 - 11:56 पूर्वाह्न

यह लेख बहुत सुनदर है मुझै पढ कै बहुत अच्छा लगा धन्यवाद् मैने एसे और सुन्दर लेख यहा देखे है आप भी देखे। www.chillyblog.com

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karan सितम्बर 13, 2019 - 1:43 अपराह्न

top ha sir ji

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DGC foundation अप्रैल 26, 2019 - 8:31 पूर्वाह्न

Bahut acha hukm
????????????????????????

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 3, 2019 - 10:19 पूर्वाह्न

धन्यवाद DGC Foundation….

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Nathmal vyas मार्च 23, 2019 - 6:09 अपराह्न

माता-पिता देवता हे इनको सबसे पहले पूजना चाहिये और हर व्यक्ति को जिनके माता – पिता देव-गमन कर चुके हो उनसे मेरी हाथ जोड़ प्रार्थना हे की उनके चित्र की पूजा मन्दिर में रख कर सबसे पहले सर्वप्रथम करनी चाहिये !

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Aarif khan अक्टूबर 11, 2018 - 8:43 अपराह्न

Ma jo tere gar me hai fir kahe tu roy

Ma ka aasirvad le kaam safal ho jay

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ravi kant shukla जुलाई 21, 2018 - 12:35 अपराह्न

bahut aachi gahrai bali baat hai in panktiyo me ………….

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जुलाई 21, 2018 - 6:01 अपराह्न

धन्यवाद रविकांत शुक्ला जी।

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हिमांशु savita जनवरी 31, 2018 - 10:29 अपराह्न

Ilove माँ बाप

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Lovely जनवरी 19, 2018 - 12:14 अपराह्न

बहुत खुब?? दिल भर आया पढ़कर……………ऐसे ही लिखते रहिये ?

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जनवरी 21, 2018 - 9:35 पूर्वाह्न

धन्यवाद लवली जी।

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ओम प्रकाश सिंह दिसम्बर 2, 2017 - 9:32 अपराह्न

वाह संदीप जी
बहुत-बहुत धन्यवाद !!!

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rolling world नवम्बर 29, 2017 - 10:37 पूर्वाह्न

सराहनीय है आपकी रचना। सरल और कम्युनिकेटिव । बधाई

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Narpat Solanki सितम्बर 22, 2017 - 12:09 अपराह्न

?बहुत खूब पढ कर मन को अच्छा लगा ?
???धन्यवाद ??मेरे लिए मेरे माता-पिता हि सब कुछ है

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh सितम्बर 22, 2017 - 9:56 अपराह्न

सराहना के लिए धन्यवाद Narpat Solanki जी….

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अमरजीत मलिक जुलाई 17, 2017 - 7:23 अपराह्न

बहुत खूब, पढ़ कर मन प्रसन हो गया – धन्यवाद्

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