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हिंदी कविता : मैं नारी हूँ | महिला सशक्तिकरण पर कविता | Hindi Poem Mai Nari Hu

by ApratimGroup
4 minutes read

संसार में नारी का बहुत महत्त्व है। बिना नारी संसार की कल्पना भी असंभव है। नारी बहन है, माता है, पत्नी है साथ ही और बहुत से रिश्ते जोड़ने वाली देवी है। इनके बारे में जितना कहा जाए उतना ही कम होगा। नारी क्या है इसे एक नारी ही बता सकती है। तो आइये पढ़ते हैं एक नारी द्वारा लिखी गयी महिला सशक्तिकरण पर हिंदी कविता : मैं नारी हूँ

हिंदी कविता : मैं नारी हूँ

हिंदी कविता : मैं नारी हूँ

हाँ,मै नारी हूँ,निज सत्य कभी न हारी हूँ,
मैं त्याग और ममता की इक फुलवारी हूँ।

मै फूल हूँ ,मैं गंध कुसुम मतवाली डाली हूँ,
मैं फूलों को नित जन्माने वाली वनमाली हूँ ।

मैं मधुमासो में सावन हूँ,गंगा जैसी पावन हूँ,
यमुना सी बल खाती,नर्मद सी मनभावन हूँ।

मैं चंदन जैसा वंदन हूँ,मैं ही कष्ट निकंदन हूँ,
नेहनीर के मोती सी सच ही प्रीत निबंधन हूँ।

मैं गीत धरा की प्रीत अमर हूँ मस्तानी भी,
देशधरा पर मिटती झाँसी रानी दीवानी भी।

मैं भाग्य-प्रकृति,संस्कृति सम्मान की छाया हूँ
ईश्वर की अनुपम सी कृति और जगमाया हूँ।

आन धरा की शस्यश्यामला पावन माटी की,
मै गौरव अभिमानी, बलिदानी परिपाटी की।

मैं जीवन और मोक्ष अमर हूँ पूरी सृष्टि में,
मैं शक्ति एक परोक्ष समर की दूरी दृष्टि में।

मैं शोला हूँ मैं शबनम आँसू व चिनगारी भी,
मैं एक सुरीला सरगम व साज हियहारी भी।

मैं सरताजो की ताज बनी तीक्ष्ण मद हाला हूँ
मैं बिना पंख परवाज और प्रीत मधुशाला हूँ।

मैं सदगुन हूँ मैं वादा हूँ,संगति में नेकइरादा हूँ,
मैं खंडित मन प्राणअखंडित सारी मर्यादा हूँ।

मैं पूजा हूँ मैं भक्ति और असीमित शक्ति हूँ,
पन्ना सी देश प्रेम की सारभूत अभिव्यक्ति हूँ।

मैं मीरा हूँ मैं राधा हूँ मैं हठी द्रौपदी जैसी हूँ,
नर का हिस्साआधा हूँ,मैं सप्तपदी संवेशी हूँ।

मै पद्मनि मैं रजिया हूँ,मैं ही मेवाड़ी कर्मवती,
मलय क्षीर बगिया सीता,सावित्री, सत्यवती।

मैं नीर भी हूँ मै ज्वाला हूँ शीतलतम हिम सी,
मैं अमृत मय प्याला हूँ संग गरल मद्धिम सी।

नारी अनुपम प्यारी,नेह दुलारी नहीं विचारी हूँ
सृष्टि की हितकारी महतारी व दुष्ट-संहारी हूँ।

मैं ममतामयि नारी परसंग में तीक्ष्ण कटारी हूँ
रिश्तों की मैं संगम,बहिना भैया की प्यारी हूँ।

पढ़िए :- महिला दिवस पर विशेष “नारी शक्ति पर दोहे”


kevra yadu meeraयह कविता हमें भेजी है श्रीमती केवरा यदु ” मीरा ” जी ने। जो राजिम (छतीसगढ़) जिला गरियाबंद की रहने वाली हैं। उनकी कुछ प्रकाशित पुस्तकें इस तरह हैं :-
1- 1997 राजीवलोचन भजनांजली
2- 2015 में सुन ले जिया के मोर बात ।
3-2016 देवी गीत भाग 1
4- 2016 देवीगीत भाग 2
5 – 2016 शक्ति चालीसा
6-2016 होली गीत
7-2017  साझा संकलन आपकी ही परछाई।2017
8- 2018 साझा संकलन ( नई उड़ान )

इसके अतिरिक्त इनकी अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें इनकी रचनाओं के लिए लगभग 50 बार सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें वूमन आवाज का सम्मान भी भोपाल से मिल चुका है।
लेखन विधा – गीत, गजल, भजन, सायली- दोहा, छंद, हाइकु पिरामिड-विधा।
उल्लेखनीय- समाज सेवा बेटियों को प्रशिक्षित करना बचाव हेतु । महिलाओं को न्याय दिलाने हेतु मदद गरीबों की सेवा।

‘ हिंदी कविता : मैं नारी हूँ ‘ ( Me Nari Hu Poem In Hindi ) के बारे में अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

धन्यवाद।

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1 comment

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Diksha rani सितम्बर 29, 2019 - 1:52 अपराह्न

Very very very nice poem.
I love this poem.

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