सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है
” माँ पर कुछ दोहे ” में माँ की महानता और उसकी निःस्वार्थ ममता का चित्रण किया गया है। माँ के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। माँ संतान को जन्म ही नहीं देती वरन् सभी प्रकार के कष्ट सहकर उसका पालन – पोषण भी करती है। माँ इस जग में सेवा, त्याग, तपस्या और निस्वार्थ प्रेम की प्रतिमा है। अपने बच्चों को मुस्काते हुए देखकर वह सभी कष्ट भूल जाती है। माँ का रिश्ता अन्य सभी रिश्तों से अधिक महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि माँ देना ही देना चाहती है लेना कुछ नहीं चाहती। माँ को धरती पर ईश्वर का रूप भी माना गया है। हमें माँ का सम्मान कर उसे प्रसन्न रखने का प्रयास करना चाहिए।
माँ पर कुछ दोहे
माँ गर्मी की छाँव है, माँ सर्दी की धूप।
नेह-नीर जिसका नहीं, घटता है वह कूप।।
माँ के आँचल में खिले, हँसी – खुशी के फूल।
लगते इनके सामने, सुख दुनिया के धूल।।
लुटा रही संतान पर, हर माँ अपना प्यार।
बच्चे की मुस्कान में, है इसका संसार।।
माँ का आँचल फैलता, ले छाया का रूप।
चुभे नहीं संतान के, जिससे तीखी धूप।।
माँ है जीवन – दायिनी, तन मन का आधार।
माँ से जीवित विश्व में, त्याग तपस्या प्यार।।
माँ का रिश्ता है बड़ा, दुनिया में अनमोल।
मन के खारे सिन्धु में, रहता यह मधु घोल।।
रखिए माँ की याद को, दिल के सदा करीब।
इसको खोकर आदमी, होता बहुत गरीब।।
माँ पर कुछ दोहे आपको कैसे लगे? अपने विचार कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें।
पढ़िए माँ को समर्पित यह बेहतरीन रचनाएँ :-
- माँ पर कविता इश्क़ु अंदाज में | इश्कु, कविता का एक दिलचस्प अंदाज
- दिवंगत माँ पर कविता “इक तेरे रूप के ख़ातिर माँ” | माँ को श्रद्धांजलि देती कविता
- माँ की दुआ कविता ” मेरी मां की दुआ मेरे तब “
- माँ पर कुछ पंक्तियाँ | मातृ दिवस पर माँ को समर्पित छंदमुक्त रचना
- माँ पर गजल | माँजी, अम्मा, आई, माँ | Ghazal On Maa In Hindi
धन्यवाद।