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माँ की दुआ कविता :- मेरी मां की दुआ मेरे तब | मां की दुआएं हिंदी कविता


इश्वर की सबसे सुन्दर रचना है नारी और नारी रूप में सबसे ज्यादा पूजनीय है ‘माँ।’ माँ की महिमा का बखान तो सारा जग करता है। ऐसा अक्सर कहा जाता है कि भगवन स्वयं हर जगह हर इन्सान के लिए नहीं पहुँच सकते इसलिए उन्होंने एक देवी भेजी औए माँ का नाम दिया। इन्सान की माँ एक ऐसी देवी है जिसकी दुवाओं में भी गजब की शक्ति होती है। ये दुवायें इन्सान की तकदीर बदल देती हैं। इसी सन्दर्भ में हम आपके लिए लाये हैं ‘ माँ की दुआ ‘ कविता :-

माँ की दुआ

माँ की दुआ

जब भी जिंदगी में कभी
कोई बुरी शाम आती है,
मेरी माँ की दुआ मेरे तब
काम बहुत ही आती है,

नहीं मिलती जब राह कोई
मझधार में खुद को पाता हूँ
जीवन के सुखमय उजालों से
जब दुःख की ओर मैं जाता हूँ,
वो अनजानी सी ताकत मुझको
खींच वहां से लाती है
मेरी माँ की दुआ मेरे तब
काम बहुत ही आती है,

धूप समय की कड़क हो जब
हर पल अपनी किस्मत रोती
जागती रहती रात-रात भर
ये आँखें ना जब हैं सोती,
कर ममता की छाँव वो मुझको
सुख की नींद सुलाती है
मेरी माँ की दुआ मेरे तब
काम बहुत ही आती है,

पाकर के अकेला खुद को मैं
जब जीवन से थकने लगता हूँ
हालातों से लड़ता हुआ
कमजोर जब पड़ने लगता हूँ,
तभी वो आकार जीवन में
मेरी हिम्मत बढ़ाती है
मेरी मां की दुआ मेरे तब
काम बहुत ही आती है,

मुस्कान न हो जब होठों पर
उम्मीद न हो जब आँखों में
तनहा खुद को मैं पाता हूँ
दुनिया के लोगों लाखों में,
पास वो आकार तन्हाई में
मेरा साथ निभाती है
मेरी माँ की दुआ मेरे तब
काम बहुत ही आती है,

आपको यह कविता कैसी लगी? इस कविता के बारे में अपने विचार हम तक कमेंट बॉक्स के जरिये जरूर पहुंचाएं।

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धन्यवाद।

4 Comments

  1. Dhanyavad ji aap ko bahut bahut Dhanyavad aap ki kavita padh kar Meri toh Aankhein Hain Aansuon Se Bhari aakhir maa Mahi Vati

    1. धन्यवाद अमित मीना जी। इसी तरह हमारे साथ बने रहें और हमें और लिखने के लिए प्रेरित करते रहें।

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