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कृष्ण और सुदामा की मित्रता के बारे में कौन नहीं जनता। इनकी कथा तो दोस्ती की एक मिसाल है। कृष्ण सुदामा का मिलन जब दुबारा हुआ तो कुछ इस तरह से हुआ कि आज तक उस दृश्य का वर्णन कथाओं, भजनों, काव्यों और गीतों में होता है। इसी दिशा में प्रयास करते हुए हमने भी उस दृश्य का वर्णन कृष्ण सुदामा का मिलन कविता में किया है :-
कृष्ण सुदामा का मिलन
देख दृश्य द्वारिका का देव हर्षाये हैं,
कृष्ण से मिलने आज सुदामा आये हैं।
सोच रहें क्या कृष्ण उन्हें पहचानेंगे
वो हैं उनके बाल सखा क्या मानेंगे,
वस्त्र पुराने, नंगे पांव, देख सकुचाये हैं
कृष्ण से मिलने आज सुदामा आये हैं।
खड़े द्वारपालों से विनती करते हैं
मोहन संग मिलने को वो कब से तरसते हैं,
सेवक सुन कर विनय, संदेश पठाये हैं
कृष्ण से मिलने आज सुदामा आये हैं।
बचपन की बातें कर दोनों मुस्कुराते हैं
क्या होती है मित्रता सबको बतलाते हैं,
दोनों के किस्से आज जहाँ ये गाये है
कृष्ण से मिलने आज सुदामा आये हैं।
सेवक के मुख से सुनकर, सुदामा का आगमन
भाव विभोर हुए मोहन, झट छोड़ दिया आसन,
खोकर सुध-बुध अपनी द्वार दौड़े आये हैं
कृष्ण से मिलने आज सुदामा आये हैं।
गले मिले ऐसे, जैसे बिछड़े मिले हों प्राण
ये व्यवहार देखकर, सब हो गए थे हैरान
संग लेजाकर उनको आसन पर बिठाए हैं
कृष्ण से मिलने आज सुदामा आये हैं।
पूछ रहे हैं मोहन तुम अब तक क्यों न आये
मिलकर तुमसे हाल है जो मुझसे कहा न जाये,
नैनों के नीर से प्रभु ने चरण धुलाये हैं
कृष्ण से मिलने आज सुदामा आये हैं।
देख दृश्य द्वारिका का देव हर्षाये हैं,
कृष्ण से मिलने आज सुदामा आये हैं।
देखिये इस कविता का विडियो :-
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धन्यवाद।
Image Credit: Google Image search.
2 comments
Bahut hi sundar kavita hai aapki
Bhagwan ke liye esi hi kavitaaye banate rahe…
Best poem