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जन्माष्टमी :- भगवन कृष्ण के जन्म का उत्सव है। वेदों और पुरानों के अनुसार कृष्ण जी का जन्म भाद्रपद अष्टमी को हुआ था। इस कविता में हमने उनके जन्म का वृतांत बताने का प्रयास किया है कि किस हालात में उनका जनम हुआ और जन्म के बाद क्या हुआ ? ‘ श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता ‘ में :-
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता
रात अंधियारी कारी, जन्मे जब कृष्ण मुरारी,
खुल गयीं तब बेड़ियाँ सारी, जब जन्म लिए बनवारी।
धन्य हुए वसुदेव देवकी, खुशियाँ जीवन में पधारी,
कंस के अंत की तब तो, हो गयी पूरी तैयारी।
खुल गए सब ताले झट से, सो गए दरबान भी सारे,
कान्हा को लेकर फिर, वसुदेव गोकुल को पधारे।
छायी घन घोर घटायें, आफत सी बरसती जाएँ,
यमुना का जल भी देखो, हर पल बढ़ता ही जाए।
वसुदेव सब देख रहे थे, फिर भी हिम्मत न हारे
कृष्णा को लेकर वो फिर, झट से बढ़ गए थे आगे।
आगे वसुदेव जी चलते, कान्हा को सिर पे थामे,
पीछे थे शेष नाग जी, वो भी कान्हा को ढांके।
गोकुल में जब वो आये, सबको सोते हुए पाए,
यशोदा की उठा के बेटी, कृष्णा को वहाँ लिटाये।
वापस आ गए फिर मथुरा, हाथों में बेड़ियाँ आई,
दरबान जागे फिर सारे, सूचना कंस को पहुंचाई।
जैसे वो मारने आया, देवी ने रच दी माया
गोकुल वो पहुँच चुका है, तुझको जो मारने आया।
गोकुल में फैली खुशियाँ, सब ने फिर जश्न मचाया,
जग का उद्धार करने, कृष्णा इस जग में आया।
प्रभु के दर्शन करने को, आये फिर नर और नारी,
सबका है अंत अब आया, जितने हैं अत्याचारी।
रात अंधियारी कारी, जन्मे जब कृष्ण मुरारी,
खुल गयीं तब बेड़ियाँ सारी, जब जन्म लिए बनवारी।
पढ़िए :- कृष्ण प्रेम पर कविता ” मेरी तुझ संग प्रीत लग गयी है सांवरे ”
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- कृष्ण सुदामा का मिलन कविता | कृष्ण और सुदामा की मित्रता पर भक्तिमय कविता
धन्यवाद।
9 comments
Gajab! Sir/bhai
धन्यवाद शिवम् चौहान भाई।
Aapki post bhaut badiya h
धन्यवाद जाया गर्ग जी।
'जन्माष्टमी "
बांके बिहारी ब्रज त्रिपुरारी ब्रह्माण्ड मुरारी आयेंगे
गर दिल कभी लगे भटकने अम्बरीष अवनि छायेंगे|
गोकुल कदम्ब की डाली छवि दर्पण साज सजायेंगे
बांके बिहारी ब्रज त्रिपुरारी ब्रह्माण्ड मुरारी आयेंगे ||
तान निराली वंशी धुन में मुरलीधर राग सुनायेंगे
दूध मलाई माखन मिसरी कंहैया जी भोग लगायेंगे |
द्रोपदी की लाज बचाने कृष्ण कन्हैया जी आयेंगे
बांके बिहारी ब्रज त्रिपुरारी ब्रह्माण्ड मुरारी आयेंगे ||
सुदामा से प्रेम निभाने नन्द जी के धर पर आयेंगे
अर्जुन का सारथी बनकर मित्रता संकल्प दिखाएँगे|
आलस्य त्याग का पाठ पढ़ाने जन्मास्टमी आयेगी
बांके बिहारी ब्रज त्रिपुरारी ब्रह्माण्ड मुरारी आयेंगे | |
सुखमंगल सिंह जी बहुत बढ़िया रचना है आपकी। पढ़कर मन को प्रसन्नता हुयी।
बहुत सुंदर
धन्यवाद परमानंद सोनी जी।
अच्छी रचना धन्यवाद