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किसान इस देश के अन्नदाता हैं फिर भी उनकी स्थिति आज के दौर में बहुत ही दयनीय हो रही है। खेती कर पर कभी उसे सूखे की मार झेलनी पड़ती है तो कभी बाढ़ की। ऐसे में बहुत सरे किसान कर्जदार हो कर आत्महत्याएं कर रहे हैं। ऐसे ही किसान भाइयों को समर्पित है ये किसान का दर्द कविता :-
किसान का दर्द कविता
कुछ फांसी पर लटक चुके
कुछ हो रहे अब तैयार,
कैसा मचा ये हाहाकार
अन्नदाता की सुनो पुकार।
स्वयं चाहे भूखा रह जाए
औरों तक भोजन पहुंचाए
फिर भी कोई न उसकी सुनता
किसको अपनी व्यथा सुनाये,
राजनीती के शोर में अक्सर
दब जाती उसकी चीत्कार
कैसा मचा ये हाहाकार
अन्नदाता की सुनो पुकार।
लोग तो झूठे हैं ही यहाँ पर
मौसम भी बेईमान हुआ
बेकार हुयी सारी मेहनत
और बहुत नुकसान हुआ,
कभी आ रही बाढ़
कभी सूखे की पड़ती मार
कैसा मचा ये हाहाकार
अन्नदाता की सुनो पुकार।
कितनी भी विकत हो परिस्थिति
उम्मीद वो बांधे रहता है
भटके न वो राह कभी
लक्ष्य को साधे रखता है,
फिर भी ऐसी हुयी है हालत
आज हो रहा है कर्जदार
कैसा मचा ये हाहाकार
अन्नदाता की सुनो पुकार।
जमीन वो गिरवी रख देता
बेटी का ब्याह रचाने को
करता है वो ये सब बस
समाज में इज्ज़त बचाने को,
लेकिन वो समझ न पाए
ये समाज करे है अत्याचार
कैसा मचा ये हाहाकार
अन्नदाता की सुनो पुकार।
गर किसान हो न रह जायेगा
ये जग भूखा मर जायेगा
बिन किसान के देश भी ये
आगे न बढ़ पायेगा,
कुछ सोचो कुछ बात करो
जीवन में कुछ इनके सुधार
कैसा मचा ये हाहाकार
अन्नदाता की सुनो पुकार।
पढ़िए :- किसान पर कविता ‘ये धरा ही उसकी माता है’
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11 comments
किसान कि कविता में आप ने किसानों का दुःख का वर्णन किया है भगवान आप का भला करे
दिल को छू लेने वाली कविता। बेहतरीन काव्य रचना साझा करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।।
धन्यवाद भारती जी।
बहुत सटीक कविता है
मैं भी शब्द जोड़ने का प्रयास करता हूँ जैतावत जी, fb पर तो पोस्ट करता रहता हूँ पर ब्लॉग नहीं बन पा रहा है कृपया मदद करें।
कुशकुमार सिंह राजावत
मथुरा
इस मामले में अधिक बातचीत के लिए आप हमसे blogapratim@gmail.com पर या Whatsapp 7697293600 पर संपर्क करे। धन्यवाद
आपकी कविताए बहुत अच्छी हे 9414815994 मेरे वाट्सप नम्बर हे
Bahut sandarr rachnae ji
Nice Sir……
धन्यवाद नागेश जी।
kya baat batai hai aapne bahut bahut shukriya ye kavita share karne ke liye bahut bahut dhanyawad!
धन्यवाद श्रीमान।