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ख़ामोशी पर शायरी – खामोशियों को जुबान देता शायरी संग्रह | Shayari On Khamoshi

by Sandeep Kumar Singh
3 minutes read

सुना है ख़ामोशी की भी अपनी एक जुबान होती है। कभी एक ख़ामोशी में नाराजगी होती है, कभी उसी ख़ामोशी में एक प्यारा सा जवाब होता है। कभी यही ख़ामोशी बर्दाश्त के बाहर हो जाती है। ये ख़ामोशी जिस से पल भर में सन्नाटा हो जाता है उसी ख़ामोशी का शोर कई बार अकेले में तडपाने लगता है। ख़ामोशी को लेकर सबकी अपनी अलग कहानी होती है। इन्ही कहानियों को मैंने थोड़े-थोड़े शब्दों के समूह में प्रस्तुत करने की कोशिश की है। आशा करता हूँ आपको यह ‘ ख़ामोशी पर शायरी ‘ शायरी संग्रह जरूर पसंद आएगा।

ख़ामोशी पर शायरी

ख़ामोशी पर शायरी

1.
कुछ कहा भी नहीं और सारी बात हो गयी,
उसकी ख़ामोशी ने ही सारी दास्तान कह सुनाई।

2.
जब से ये अक्ल जवान हो गयी,
तब से ख़ामोशी ही हमारी जुबान हो गयी।

3.
जब से ग़मों ने हमारी जिंदगी में
अपनी दुनिया बसाई है,
दो ही साथी बचे हैं अपने
एक ख़ामोशी और दूसरी तन्हाई है।

4.
मेरी खामोशियों पर भी उठ रहे थे सौ सवाल,
दो लफ्ज़ क्या बोले मुझे बेगैरत बना दिया।

5.
शोर तो गुजरे लम्हे किया करते हैं जिंदगी में अक्सर,
वो तो आज भी हमारे पास से ख़ामोशी से गुजर जाते हैं।

6.
हर जज़्बात कोरे कागज़ पर उतार दिया उसने,
वो खामोश भी रहा और सब कुछ कह गया।

7.
जरूरी नहीं कि हर बात लफ़्ज़ों की गुलाम हो,
ख़ामोशी भी खुद में इक जुबान होती है।

8.
इश्क की राहों में जिस दिल ने शोर मचा रखा था,
बेवफाई की गलियों से आज वो खामोश निकला।

पढ़िए :- सफर शायरी | जिंदगी के सफ़र पर शायरी by संदीप कुमार सिंह

9.
उसकी सच्चाई जब से हमारे पास आई,
हमारे लबों को तब से ख़ामोशी ही रास आई।

10.
हम खुश थे तो लोगों को शक भी न हुआ,
जरा सी ख़ामोशी ने हमारी सारे राज खोल दिए।

11.
उसने पढ़े तो ही अल्फाजों ने बोलना शुरू किया,
वरना एक अरसे से ये पन्नों में खामोश पड़े थे।

12.
कभी सावन के शोर ने मदहोश किया था मौसम,
आज पतझड़ में हर दरख़्त खामोश खड़ा है।

13.
ये तुफान यूँ ही नहीं आया है
इससे पहले इसकी दस्तक भी आई थी,
ये मंजर जो दिख रहा है तेज आंधियों का
इससे पहले यहाँ एक ख़ामोशी भी छाई थी।

14.
शोर तो दुनिया वालों ने मचाया है हमारे कारनामों का,
हमने तो जब भी कुछ किया ख़ामोशी से ही किया है।

15.
हमारी ख़ामोशी ही हमारी कमजोरी बन गयी,
उन्हें कह न पाए दिल के जज़्बात और इस तरह से
उनसे इक दूरी बन गयी।

16.
भूल गए हैं लफ्ज़ मेरे लबों का पता जैसे,
या फिर खामोशियों ने जहन में पहरा लगा रखा है।

आपको यह ‘ खामोशी पर शायरी ‘ शायरी संग्रह कैसा लगा हमें अवश्य बताएं। आपकी प्रतिक्रियाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं।

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धन्यवाद।

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11 comments

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Rakesh yadav मई 31, 2019 - 8:05 अपराह्न

Wow veri nice

Reply
Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh जून 14, 2019 - 10:27 अपराह्न

धन्यवाद राकेश यादव जी।

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Garima bhatia मई 30, 2019 - 11:37 पूर्वाह्न

बहुत ही खूबसूरत औऱ दिल को छुने वाली शायरी

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh मई 30, 2019 - 11:56 पूर्वाह्न

धन्यवाद गरिमा जी….

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Neeraj अक्टूबर 7, 2017 - 12:22 पूर्वाह्न

बहुत ही अच्छा है…….

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अक्टूबर 7, 2017 - 5:12 पूर्वाह्न

धन्यवाद नीरज जी।

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Mukesh dahal अगस्त 11, 2017 - 9:29 अपराह्न

Gud lines

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Sandeep Kumar Singh
Sandeep Kumar Singh अगस्त 12, 2017 - 10:03 पूर्वाह्न

Thanks Mukesh Dahal ji….

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shanker Kumar मई 24, 2017 - 9:07 अपराह्न

एक तरफ तन्हाई थी
एक तरफ रूसबाई थी
एक तरफ पतझड़ था
एक तरफ सावन था
आंधियों के आने से पहले
सब खामोश था

बहुत देर खामोश रहा मौसम
जब तेज आंधियां आयी
बड़े बड़े दरख्त उजड़ गए
आंधी आने से पहले जो खामोशी थी
आंधी जाने के बाद और भी खामोश हो गए
बढ गया था सिसकियों का आलम
दर्द जवान हो गया था
फिरभी जख्मों के सेज पर
खामोशी खामोश थी
निशब्द होकर
कुछ कह रही थी
शायद जीस्त उसकी इंतहा ले रही थी
और खामोश होकर बेबसी
सिसकियाँ ले रही थी ।

– शंकर कुमार शाको
स्वरचित
सिलीगुड़ी
8759636752

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Sidhart दिसम्बर 25, 2017 - 10:55 अपराह्न

कबीले तारीफ शँकर सर जी

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Rahul सितम्बर 9, 2021 - 12:50 अपराह्न

very beautiful

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