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आप पढ़ रहे हैं हिन्दी भाषा को समर्पित कविता जय हिन्दीभाषा :-
कविता जय हिन्दीभाषा
नहीं किसी भाषा से हमने
द्वेष हृदय में है पाला,
भाषाएँ तो संस्कृतियों का
देती नित नया उजाला।
लेकिन हमको हिन्दी भाषा
प्राणों से बढ़कर प्यारी,
कोटि – कोटि जन के मन में यह
उच्चासन की अधिकारी।
हिन्दी हर भारतवासी के
सम्पर्कों की है भाषा,
हिन्दी अपना भव्य विगत है
हिन्दी है कल की आशा।
भले हमारे हर प्रदेश की
रही अलग अपनी बोली,
पर हिन्दी की गोदी में ही
इन सबने आँखें खोली।
हिन्दी प्यार सभी से करती
सबको ही अपना कहती,
कई – कई भाषा की धारा
हिन्दी में मिलकर बहती।
हिन्दी को हम जैसा लिखते
वैसा करते उच्चारण,
सर्वश्रेष्ठ लिपि देवनागरी
वैज्ञानिक गुण के कारण।
ध्वनि – चिह्न हिन्दी के लगते
कितने सुन्दर मनभावन,
इसमें रचित विपुल ग्रंथों में
भरे भाव अतिशय पावन।
सहज सरल हिन्दी भाषा है
नहीं तनिक भी अभिमानी,
समझ इसे दुर्बलता हमने
इसकी कीमत ना जानी।
राष्ट्र – एकता को दृढ़ करने
हम सब हिन्दी अपनाएँ,
आपस के मतभेद भुला अब
हिन्दी का गौरव गाएँ।
मान मिले हिन्दी को समुचित
बने देश की यह वाणी,
अखिल विश्व में हो गुंजारित
जय हिन्दी जय कल्याणी।
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