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आखिर क्या राज है जो नैनों की जादूगरी सामने वाले पर अपना प्रभाव छोड़ जाती है? नजरें मिला कर बात करना आखिर इतना असरदार साबित क्यों होता है? और अगर किसी से प्यार हो तो उस से नजरें मिलाना भी क्यों जरूरी हो जाता है? आखिर क्यों जरूरी है प्यार में नजरे मिलाना? ये प्रश्न सभी युवाओ के मन में रहता है। नजर से नजर मिले तब मिला सिर्फ भावनाएं ही नहीं जुड़ती हैं बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। जिस पर जापान के शोधकर्ता शोध कर रहे है। तो आइये जानते है उनके शोध के बारे में और उस से जुड़ी कुछ रोचक बातें कि प्यार में नजरे मिलाना क्यों जरुरी है?
जब नजर से नजर मिले
इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग होंगे जो किसी ना किसी से चोरी-चोरी एकतरफा प्यार करने लगते है। लेकिन उससे बात करने या अपने प्यार का इजेहार करने से कतराते हैं। हो सकता है की आप या आपके आसपास भी ऐसा कोई हो। तो ये खबर आपके और उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है।
ज्यादातर लोग तो सिर्फ इसलिए ही अपने प्यार का इजहार करने से डरते है कि पता नही वो हमारे बारे में क्या सोचेगी/सोचेगा? कहीं ऐसा न हो की बनी बनायीं इज्जत मिटटी में मिल जाए। कहीं वो बुरा ना मान जाये। या फिर अगर मना कर दिया तो मै क्या करूंगा/करुँगी? आखिर मै बात कहाँ से और कैसे शुरू करूँ? ऐसे ही कई सवाल दिमाग में घुमते रहते हैं जिसकी वजह से लोग जिसे चाहते है उससे अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाते और उसे हमेशा के लिए खो देते है।
वो आपसे प्यार करेगी/करेगा या नहीं इस बात की तो कोई गारंटी नहीं है लेकिन कुछ ऐसे तरीके होते हैं जिनका सही ढंग से प्रयोग करने पर सामने वाला आपके प्यार को सहज ही स्वीकार कर सकता है। बाकी तरीकों का तो पता नहीं लेकिन जिस तरीके की बात हम यहाँ करने वाले हैं वो है सामने वाले की नजरों से नजरें मिला कर बात करना।
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क्यों जरूरी है नजरें मिलाना, सामने वाले को अपनी ओर आकर्षित करने और उसके दिल में अपनी जगह बनाने के लिए?
जापान में चल रहे एक शोध के अनुसार, जब दो इंसानों की नजर एक दूसरे से मिलती है तो सिर्फ नजरें ही नहीं मिलती बल्कि दिमाग में होने वाली कुछ गतिविधियाँ भी भावनात्मक तौर पर एक दूसरे को आकर्षित करती हैं। जिस से बातचीत करना थोड़ा सुविधाजनक हो जाता है। जो की एक मजबूत सम्बन्ध बनाने के लिए बहुत आवश्यक है। इस विषय पर अध्ययन कर रहे एक वरिष्ठ लेखक का कहना है,
“किसी से बात करते समय जब तक हम नजरों से नजरें नहीं मिलाते तब तक हम एक दूसरे से भावनात्मक तौर पर नहीं जुड़ सकते और इस से हम सामने वाले का ध्यान अपनी ओर पूर्णतः केन्द्रित नहीं कर सकते।”
इतना ही नहीं प्यार और नजरों के इस तालमेल के विषय पर हो रहे शोध को गहराई से जानने के लिए 96 लोगों को इसमें शामिल किया गया। ताकि उन पर प्रयोग कर के इस बात की प्रमाणिकता का पता लगाया जा सके। ये ऐसे लोग थे जो पहले कभी एक दूसरे से नहीं मिले थे और न ही कभी ऐसे किसी शोध का हिस्सा बने थे।
इन सभी लोगों को पुरुष और महिला के जोड़ों में रखा गया। अलग-अलग परिस्थितियों में इन्हें एक दूसरे से नजरें मिलाने को कहा। नजरें मिलाने की इस प्रक्रिया के दौरान कार्यात्मक चुंबकीय अनुनाद प्रतिबिंब ( Functional Magnetic Resonance Imaging ) द्वारा उन सबके दिमाग में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखी गयी।
इस शोध में वैज्ञानिको ने पाया की जब दो इंसान अलग-अलग परिस्थितियों में एक दूसरे की तरफ टकटकी लगाकर देखते हैं तो उनका दिमाग एक भावनात्मक कनेक्शन बना लेता है। जो स्तिथि के हिसाब से एक दूसरे को अच्छी तरह समझने और बातों को आसनी से समझने में मददगार होता है। इस शोध के बारे में विस्तृत जानकारी वैज्ञानिक लेखकों की पत्रिका NeuroImage में छप चुकी है।
तो इस बात से तो सिद्ध यही होता है कि जब आप किसी की नजरों से नजरें चार करते हैं तो दो दिलों के एक होने के असार ज्यादा हो जाते हैं। जब भावनाएं एक दूसरे से जुड़ जाए तो दिल तो खुद-ब-खुद जुड़ जाते हैं। इसलिए अगली बार जब भी अपने प्यार से मिलें तो उसकी नजरों में झाँकने की कोशिश करें। जिससे वो भी आपके प्यार में डूबने को तैयार हो जाए।
शोध से एक बात तो साफ़ होती है कि नजरें मिला कर बात करना क्यों प्रभावकारी होता है। इस लिए हम कह सकते है की एक हद तक नजरें मिलाना सम्मोहन का कार्य करता है। भावनाओं से जुड़ जाने पर सामने वाला आपकी बातो को टालने के बजाय आपको समझने की कोशिश करता है। और जब दोनों एक दूसरे को समझने लगें तो प्यार की शुरुआत तो हो ही जाती है।
और हाँ, इस लेख का ये मतलब बिलकुल भी नहीं कि आप किसी को भी घूरते रहें। क्योंकि नजरें मिलाने और घूरने में बहुर अंतर होता है। इसीलिए हँसते रहें मुस्कुराते रहें अपने प्यार से नजरें मिलाते रहें।
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धन्यवाद।
2 comments
Bahoot Khoob !
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Dhanyavaad!!!
-Abhishek Singh
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