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हौसलों की उड़ान कविता ( Hindi Poem Houslo Ki Udaan ) में संकट के समय भी हिम्मत बनाए रखने की सीख दी गई है। कविता में कहा गया है कि हमें सुख और दुःख को समान भाव से स्वीकार करना चाहिए। जिस प्रकार चींटी बार बार गिरकर भी दीवार पर चढ़ ही जाती है, उसी प्रकार हमें हौसला बनाए रखकर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयास करते रहना चाहिए। जो सफर की शुरुआत करते हैं वे मंजिल भी पा जाते हैं। नदी राह की बाधाओं को पार करके ही सागर से मिलती है। हमें भी जीवन में आने वाली मुसीबतों का सामना करते हुए आगे की ओर बढ़ते रहना चाहिए।
हौसलों की उड़ान कविता
सुख दुःख जो भी मिलते हमको
उसे करें स्वीकार,
फूलों से भी प्यार करें हम
काँटों से भी प्यार।
हम जीवन में विपदाओं से
कभी न मानें हार,
करें सामना उनका अपनी
क्षमता के अनुसार।
कोशिश करने वालों के ही
खुले लक्ष्य के द्वार,
गिरते – पड़ते चढ़ जाती है
चींटी भी दीवार।
लाँघ राह की बाधाओं को
जो बढ़ती जलधार,
स्वागत करता उसका सागर
अपनी बाँह पसार।
लगा पेड़ की छाया जैसा
जिसको तपता थार,
खिल जाते उसके जीवन में
सुख के कमल हजार।
पंख टूटने पर भी खुद को
समझें ना लाचार,
भरें हौसलों से उड़ान हम
दूर क्षितिज के पार।
इस कविता का वीडियो यहाँ देखें :-
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