सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है
आप पढ़ रहे हैं गोबिंदप्रीत सिंह जी, जोकि अमृतसर के रहने वाले हैं। उनकी कविता “ मुश्किलें इस जहान में ” :-
मुश्किलें इस जहान में
बहुत हो रही है मुश्किलें इस जहान में
कहीं हो रही हैं मौतें व्यापम के जाल में
कहीं हो रहे घोटाले पैसे के माया जाल में
बहुत हो रही हैं मुश्किलें इस जहान में।
कहीं भाई मारता है खून को जमीन की खातिर
कहीं बाप मारता है बेटी को झूठी जमीर की खातिर
कहीं मारता है इंसान इंसानियत को
जीतने के लिए इस जहान में,
बहुत हो रही हैं मुश्किलें इस जहान में।
घर में हो गए हैं बंटवारे कि अब प्यार न रहा मकान में
सो जाते हैं भूखे फुटपाथ पर जिनका होता नहीं कोई जहान में
बेटा सोती माँ को मार जाता है नशे के अभाव में
बहुत हो रही हैं मुश्किलें इस जहान में।
अगर इंसान करे जरा भी ख्याल जहान पर
करे थोड़ी दया तबाह होते जहान पर
खुद समझे और समझाए दूजों को अपनों की खातिर
तो न रहेंगी ए प्रीत सिंह मुश्किलें इस जहान में
बहुत हो रही हैं मुश्किलें इस जहान में।
⇒पढ़िए- स्वच्छ भारत अभियान स्लोगन व नारे⇐
दोस्तों आपको ये कविता कैसी लगी हमें जरूर बताएं। आपके द्वारा दिए गए विचारों से लिखने वालों को और भी प्रेरणा मिलेगी। नये लेखकों का हौसला बढ़ाने के लिए उनके लेखन पर प्रतिक्रिया जरूर दें। यदि आप में भी लिखने की प्रतिभा है और लिखना चाहते हैं तो देर न करें अपनी रचना हम तक पहुँचाए।
पढ़िए ये बेहतरीन कविताएं –
- अगर-मगर | भूत की गलतियाँ सुधार भविष्य बनाने की एक प्रेरणा
- हिंगलिश Poem – जनता का GOD | Hinglish Poem – Janta Ka God
- प्रेरक हिंदी कविता – मुसीबतें | Motivational Hindi Poem – Museebaten
धन्यवाद।
2 comments
ये कविताएँ बहुत अच्छी और प्रेरणादायी हैं ।
धन्यवाद रीनू जी।