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हिंदी कविता : रुकावट मेरे रास्ते में | Rukawat Mere Raste Me


पढ़िए हिंदी कविता- रुकावट मेरे रास्ते में 

 हिंदी कविता : रुकावट मेरे रास्ते में

हिंदी कविता : रुकावट मेरे रास्ते में

क्यों रुकावट मेरे रस्ते में
तुम हर बार बनते हो?
कोशिश करता हूँ चलने की तो
क्यों पकड़ कर मेरा हाथ तुम लाचार बनते हो
क्यों रुकावट मेरे रास्ते में
तुम हर बार बनते हो?

देखा है मैंने भी ज़माने भर की ठोकरें खाकर
मुकद्दर नहीं बनता सिर्फ ख्वाब सजाकर,
जो मैं बढ़ता हूँ अपनी मंजिल की ओर
तो मुझे हर दफा रोक क्यों गुमराह बनते हो,
क्यों रुकावट मेरे रस्ते में
तुम हर बार बनते हो?

फर्क डालतें हैं नजदीकियों में ये किस्से
जब पूछते हो तुम क्या आया हमारे हिस्से?
सफ़र काटने के लिए बने हो हमसफ़र मेरे
फिर बदल जाए सोच क्यों ऐसा विचार बनते हो?
क्यों रुकावट मेरे रस्ते में
तुम हर बार बनते हो?

तू कहता तुझको प्यार भी है
और कोशिश मुझे बदलने की,
मैं गलत हूँ तो तू साथ है क्यों?
जो सही हूँ मैं तो बदलूँ क्यों?
बने मेरे हमराह जो हो,
तो खुद को क्यों न बदलते हो?
क्यों दिखला कर राह नई,
तुम नादान से बनते हो?
क्यों रुकावट मेरे रस्ते में
तुम हर बार बनते हो?

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