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हिंदी कविता पैसा | Hindi Kavita Paisa

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हिंदी कविता पैसा

हिंदी कविता पैसा

हिंदी कविता पैसा

जीवन में होता पैसे का
अपना अलग महत्त्व,
इसमें पोषण के मिलते हैं
सब आवश्यक तत्त्व।

बिन पैसे के पाँच तत्त्व के
तन की होती भद्द,
मन की सभी उड़ानें होती
बिन पैसे के रद्द।

बड़े भाग्य से पाया जीवन
बिन पैसे के भार,
निर्धनता देती मानुष को
समय पूर्व ही मार।

नहीं गरीबी से बढ़कर है
कोई भी अभिशाप,
भूखा पेट कराता जग में
तरह-तरह के पाप।

एक तरफ होते हैं निर्धन
एक ओर धनवान,
पैसे पर ही आधारित है
मानव की पहचान।

लोग पूजते हैं उनको ही
जो हैं मालामाल,
ठोकर खाते दर – दर की ही
दुनिया में कंगाल।

पास न जिसके पैसा उसको
करे न कोई प्यार,
पैसे वालों को लगता है
सुन्दर यह संसार।

लेकिन पैसा पाकर भूलें
कभी न हम औकात,
मरने पर यह साथ न जाता
सत्य यही है बात।

है पैसा यदि पास हमारे
करें नहीं अभिमान,
उसे लगाएँ शुभ कामों में
और करें कुछ दान।

महिला हो या पुरुष सभी की
हो नियमित कुछ आय,
रोजगार देने का सबको
शासन करे उपाय।

कुछ तो रहना सदा चाहिए
पैसा अपने साथ,
औरों के आगे फैलाना
पड़े न जिससे हाथ।

नहीं काम आती दुनिया में
बड़ी – बड़ी अब मूँछ,
बिन पैसे के लोग हिलाते
सबके आगे पूँछ।

पैसा ही सारे विकास का
मूलभूत आधार,
कल्पवृक्ष से कम ना होता
पैसा किसी प्रकार।

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