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इन्सान एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज में बने रिश्तों के ताने-बाने के बीच रहना पड़ता है। इनमे कई रिश्ते बहुत ख़ास होते हैं और कई साधारण लेकिन इनमे एक रिश्ता ऐसा होता है जो सब रिश्तों से बढ़कर होता है। वो रिश्ता है माँ का। माँ सन्दर्भ में आप आप हमारे ब्लॉग पर माँ के लिए ग़ज़ल, इश्कु अंदाज में माँ पर कविता, मेरी माँ पर कविता, माँ पर शायरी और माँ की याद में कविताएं :- न जाने कहाँ तू चली गयी माँ, तू लौट आ माँ आदि रचनाएं पढ़ चुके हैं। माँ के बारे में जब लिखना शुरू किया जाए तो कलम रुकने का नाम ही नहीं लेती। इसीलिए इस बार हम आपके लिए लाये हैं कविता :- ‘ जननी पर कविता ‘
जननी पर कविता
वो जमीं मेरा वो ही आसमान है
वो खुदा मेरा वो ही भगवान् है,
क्यों मैं जाऊं उसे कहीं छोड़ के
माँ के क़दमों में सारा जहान है।
उसने जन्म दिया मुझको प्यार किया
बदले में कभी मुझसे कुछ न लिया,
चुका न पाऊं मैं जन्म हजार तक
उसके मुझ पर इतने अहसान हैं,
क्यों मैं जाऊं उसे कहीं छोड़ के
माँ के क़दमों में सारा जहान है।
उसने कष्ट सहा, मुख से कुछ न कहा
उसकी छाया में बचपन मेरा खुश ही रहा,
नींद आती नहीं अब भी रात में
लोरी सुनते न जो मेरे कान हैं,
क्यों मैं जाऊं उसे कहीं छोड़ के
माँ के क़दमों में सारा जहान है।
उसके आदर्श हैं उसके संस्कार हैं
बिन माँ के तो जीवन ये बेकार है,
मेरा अस्तित्व है उससे जुड़ा
उसे प्यारी उसकी संतान है,
क्यों मैं जाऊं उसे कहीं छोड़ के
माँ के क़दमों में सारा जहान है।
परेशानी कोई जो कभी मन में रहे
जान जाती है माँ बिन मेरे कुछ कहे,
हर ख़ुशी दूंगा मैं भी अपनी माँ को
दिल में रहता यही अरमान है,
क्यों मैं जाऊं उसे कहीं छोड़ के
माँ के क़दमों में सारा जहान है।
वो जननी है मेरी, वो गुरु है मेरा
उसकी ही वजह से ये जीवन मिला,
दुनिया में रिश्ते कई हैं मगर
माँ का दर्जा सबसे महान है
क्यों मैं जाऊं उसे कहीं छोड़ के
माँ के क़दमों में सारा जहान है।
पढ़िए :- एक माँ को अजन्मी बेटी की पुकार
” हिंदी कविता माँ पर ” के बारे में अपने विचार जरूर लिखें।
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- माँ पर गजल ” माँजी, अम्मा, आई, माँ ” | Ghazal On Maa In Hindi
धन्यवाद।
3 comments
माँ जगत जननी गो माता ओर मेरी जन्म दाता मां ओर मानव शब्द की नो माताओं को नित्य मे गिरधारीलाल बिशनोई प्रणाम करता हूँ
aapne bahut achcha likha hai sir
धन्यवाद रामरूप जी।