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कृष्ण भक्ति दोहे – साधना मिश्रा विंध्य जी द्वारा रचित कृष्ण भक्ति दोहे :-
Krishna Dohe In Hindi
कृष्ण भक्ति दोहे
1.
सकल हृदय की पीर को,
दूर करे सरकार।
विनती मेरी एक है,
दर्शन दे करतार।।
2.
चंदन लेपन से करूं,
कान्हा का श्रृंगार।
राधे अब दर्शन दीजिए,
होऊ भव से पार।।
3.
पर पल तन यह घट रहा,
गिरधर तरसे नयन।
सुमिरन से ही नाथ,
अब पाउ सच्चा चैन।।
4.
गिरधर गिरी धारण किए,
ब्रिज का हरे क्लेश,
राधे-राधे जाप से,
रहे न दुख लवलेश।
5.
नयन दीनता देखकर,
तार दिए प्रभु संत।
दर्शन की अभिलाषा में
मीरा त्यागी कंत।।
6.
नवल पल्लव श्रृंगार के
तोरण आज सुहाए।
दर्शन हो जब श्याम के
मन ना खुशी समाए।।
7.
जन मन के उद्धार को,
दर्शन दो करतार।
विनती मेरी मानकर
आ जाओ भरतार।।
8.
राधेश्याम की छवि निरख
बलिहारी मैं जाऊं।
तन त्यागू तेरे चरण,
तब मैं दर्शन पाऊं।।
9.
जीवन मिथ्या लग रहा,
कान्हा दो आधार।
दुख की बदली में घिरी,
दो प्रकाश का सार।।
10.
रितु आई जो फागुनी,
कान्हा खेले फांग
शंकर जी पर चढ़ गई
घुटी घुटाई भांग।।
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रचनाकार का परिचय
नाम – साधना मिश्रा विंध्य
निवासी लखनऊ उत्तर प्रदेश
सम्प्रति – समाज सेविका, लेखिका ,कवयित्री
उपलब्धियां
विराट कवयित्री समिति की उपाध्यक्षा ।
प्रदीप अंतरराष्ट्रीय संस्था की सक्रिय सदस्यता।
मां विंध्यवासिनी ट्रस्ट की संस्थापिका संरक्षिका।
विश्व भारती हिंदी परिषद सम्मान 2020 से सम्मानित।
गोपालदास नीरज सम्मान 2020 से सम्मानित।
इंडिया हेल्पिंग हैंड अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा 2021 में कोरोना योद्धा के रूप में सम्मानित।
जीवन का उद्देश्य भारतीय साहित्य, संस्कृति और सभ्यता का संवर्धन।
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